जल-प्रपात का इतिहास सैकड़ों साल पुराना
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- Sep 05, 2018
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मिर्जापुर । लखनिया दरी जल-प्रपात का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। जल-प्रपात के पास पहाड़ की कंदराओं में बने भित्ति चित्र से इसकी प्राचीनता का पता चलता है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व लखनिया दरी पर लाव-लश्कर के साथ एक राजा अपनी रानी को सैर कराने लाए थे। उस दौरान बाढ़ के चलते राजा, सैनिक और हाथी-घोड़े बह गए जबकि पहाड़ की कंदराओं में छिपने के कारण रानी अकेली बची थी।
रानी को जब लगा कि वह भी नहीं बचेंगी तो उन्होंने अपने खून से पहाड़ के चट्टान पर राजा, सैनिक, हाथी, घोड़ा की तस्वीरें उकेर दीं, जिससे पता चल सके कि बाढ़ में फंसने की वजह से कोई जीवित बच नहीं सका है। भित्ति चित्र को देखकर पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इसे मानव के खून से बना हुआ बताते हैं। अति प्राचीन लखनिया दरी न सिर्फ पर्यटन स्थल बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी समृद्ध है बरसात के मौसम में बड़ी संख्या में सैलानी यहां जलप्रपात और प्रकृति के मनोहारी दृश्य का आनंद उठाने आते हैं। अगर यहां सैलानियों को सुविधाएं मुहैया कराई जाए तो यहां सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। यह स्थल उपेक्षा का शिकार है यहां न तो सैलानियों के बैठने के लिए चबूतरे बने हैं और न ही बारिश से बचाव के लिए शेड लगे हैं। झरने में स्नान करने के बाद महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम नहीं है।
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