प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती

उत्तर प्रदेश :जनपद कानपुर के घाटमपुर निवासी हिमांशी सचान अपनी रचनाओं के लिए प्रसिद्ध है l आए दिन सामाजिक कुरीतियों ,बुराइयों पर और महिलाओं पर हो रहे शोषण और अत्याचार, बलात्कार पर कविता के माध्यम से समाज को जागरुक कर रही हैं l हिमांशी सचान ने हाल ही में एक रचना किया है, कि देखते ही देखते बचपन से जिम्मेदारियां किस तरह से सर पर आती है आपके समक्ष रखा l

                    बचपन

ख्वाहिसो के इरादों में जिम्मेदारियों के पहाड़ कुछ इस तरह खड़े हो गए, 

की पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

बेपरवाह मुस्कुराहट के पीछे गम के बादल कुछ इस तरह से छा गए,

की पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

हमारी शरारतों के पीछे,परिपक्वता की दीवार के आलम कब खड़े हो गए,

कि पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

मासूमियत के गुब्बारों में बुराई की सुई कुछ इस तरह से चुभी,

की पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

हमारे हौसले समाज की बेड़ियों में कुछ इस तरह से जकड़ गए,

 कि पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

बहुत सारी खूबसूरत यादों के बीच ढेर सारे बुरे सपने कब समा गए,

की पता ही नहीं चला कि हम छोटे से कब बड़े हो गए।

रिपोर्टर

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