
लॉकडाउन के डर से मजदूर कर रहे पलायन जब कमाएंगे नहीं तो खिलाएगा कौन ?
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Apr 13, 2021
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भिवंडी।। राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले देखते हुए सरकार ने कड़े नियम और वीकेंड में लाॅकडाउन ऐलान किया है. लेकिन सरकार के इस फैसले से भिवंडी की मजदूर परेशान है पावरलूम में काम करने वाले मजदूर पिछले साल लॉकडाउन में हुए परेशानी को दोबारा नहीं दोहराना चाहते है और कई लोग गांव जाने की तैयारी भी कर रहे है। पावर लूम में काम करने वाले कई मजदूरों ने कहा कि "यहां भूखा नहीं मारूंगा,जब तक चलेगा तो चलाऊंगा, नहीं चलेगा तो भूखा नहीं मरूंगा, गांव चला जाऊंगा, क्या करूंगा और गांव में भी उतनी हैसियत नहीं है कि बैठ कर खा सकते है।" इस बार भी हमने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो हम पहले से जाने के लिए प्लान बना रहे हैं गांव वालों को बोला है कि तैयार रहो वह कहते है.पिछली बार मालिकों ने मदद की अभी कोई मदद करने के लिए नहीं बोल रहा है.
यहां के पावर लूम में लगभग 6:30 लाख मजदूर काम करते हैं पिछले साल लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर मजदूरों ने पलायन किया था और इसलिए इस साल महाराष्ट्र में बढ़ते मामले के बाद कठोर नियम और वीकेंड लॉकडाउन किये जाने के बाद कई मजदूर दोबारा पलायन करने पर विचार कर रहे है. बड़ी समस्या यह है कई मजदूरों ने यहां के झोपड़पट्टी में रहने के लिए खुद का घर खरीदा था किंतु लॉकडाउन के कारण उन्हें उसको बेच देना पड़ा जिसके कारण बहुतास मजदूर किराए के मकानों में रहने के लिए मजबूर है।
खाड़ीपार के मच्छर कंपाउंड में बिहार के रहने वालो भगत महतो पिछले साल लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ ट्रक के जरिए बिहार पहुंचे थे इसके लिए उन्हें करीब15 हजार रुपये खर्च करने पड़े थे इस बार वापस नियम कड़े किए जाने के बाद वह अपने परिवार के साथ दोबारा गांव जाने की तैयारी कर रहे हैं उन्होंने बताया कि मेरा खुद का घर था लॉक डाउन की वजह से वह भी बेच दिया.कर्ज बढ़ गया था तो उसे बेचकर मै किराए से रह रहा हूं।
पावर लूम में काम करने वाले रामखेलावन यादव पिछले हफ्ते ही लॉकडाउन लगने के डर से इलाहाबाद का टिकट निकाल लिया और आगामी बुधवार को वह ट्रेन से अपने चार साथियों के साथ गांव जा रहे हैं यादव ने बताया या सुनाई दे रहा है कि लॉकडाउन लगने वाला है तो जो कमजोर आदमी है वह डर के गांव जाएगा क्योंकि यहां रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। जब सेठ के पास काम होगा तभी तो वह हमें यहां रखेगा और जब कमाएंगे नहीं तो कौन खिलाएगा। पावर लूम कारखानों में अधिकांश मजदूर काम कर उसी कारखाना में रहते है.जो भीसी में खाना खाते। यह भीसी एक छोटा ढाबा जैसा होता है. जो 18 सौं रुपये महीना लेकर दोनों समय मजदूरों को उधारी खाना खिलाते है लेकिन आप शनिवार रविवार को वीकेंड लॉकडाउन में वह भी बंद रहेगा ऐसे में मजदूरों को नहीं पता है कि वह कहां खाना खाएंगे। भीसी मालिक बेकार है कि मजदूरों का पलायन बढ़ गया है पहले 120 मजदूर खाना खाते थे लेकिन लाॅक डाउन लगने की वजह से केवल 60 मजदूर ही खाना खाते है जिसके कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कई मजदूरों के पलायन करने के वजह से भिवंडी में कई पॉवरलूम मिल बंद भी हो चुके हैं.मिल मालिक भी कह रहे हैं कि पिछली बार की तरह उनके पास मजदूरों को रोकने के लिए पैसे भी नहीं है.एक मिल मालिक ने कहा कि, 'फिलहाल 50 फीसदी मजदूर चले गए है, और अब 25 तारीख को जब हम लोगों को पगार देंगे, उसके बाद मजदूर रुकने के लिए तैयार नहीं है.हमारी परिस्थिति ऐसी है कि अभी लूम शुरू भी नहीं हुआ और सरकार ने लॉकडाउन किया तो हमारे पास पैसे नहीं हैं कि उन्हें रोक सकें, उनके खाने-पीने का इंतज़ाम करें. कुल मिलाकर, धीरे-धीरे भिवंडी के पॉवरलूम इंडस्ट्री अब इसी तरह खाली हो रही है.मजदूर अब डरे हुए है और वे एक बार फिर से अपने गांव जाना चाहते है.सरकार की ओर से ज़रूर कई बार अपील की गई है लेकिन पिछली बार लोगों ने काफी परेशानी का सामना किया था जो वो इस बार नहीं करना चाहते हैं. इसलिए इस बार तमाम अपील के बावजूद यह लोग अगर अभी नहीं जा रहे है तो कम से कम उन्होंने मन बना लिया है कि अगर हालात खराब होते हैं तो वो अपने गांव की ओर पलायन करेंगे.
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