
गैर अनुदानित स्कूलों के शिक्षक भुखमरी की कगार पर
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- May 30, 2021
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भिवंडी।। महाराष्ट्र राकांपा के वरिष्ठ नेता पारसनाथ तिवारी ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण गैर अनुदानित स्कूलों एवं कोचिंग क्लासों के शिक्षक पिछले एक वर्ष से बेरोजगार हो गए है जिससे उनके समक्ष भुखमरी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि गैर अनुदानित निजी स्कूल बंद रहने से स्कूल की आमदनी पूरी तरह बंद हो गई है कोरोना वायरस के कारण अभिभावकों ने घर पर टयूशन पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी मना कर दिया है.जिसके कारण ट्यूशन से होनेवाली आमदनी भी बंद हो गई है.निजी स्कूल बंद होने के बाद शिक्षकों को घर बैठने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है कई स्कूलों ने शिक्षकों को यह कहकर निकाल दिया है कि अभी स्कूल बंद है जब स्कूल खुलेगा तब आईएगा।उन्होंने कहा कि गैर अनुदानित निजी स्कूल या कोचिंग संस्थान अध्ययनरत बच्चों की फीस से ही संचालित होते हैं । स्कूल संचालक बच्चों से फीस लेकर ही हर माह शिक्षकों, गैर शिक्षक कर्मचारियों सहित स्कूल का किराया, बिजली बिल, सुरक्षा गार्ड आदि का भुगतान करते हैं । फीस नहीं मिलने से सारे भुगतान बंद हैं। कुछ गिने चुने निजी स्कूल ही अपने शिक्षकों को वेतन दे रहे हैं, बाकि सभी निजी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन बंद हैं। इसी प्रकार पारसनाथ तिवारी ने कहा कि स्कूल बंद होने से शिक्षक ही नहीं मध्यम वर्ग में आने वाले संस्था चालक भी परेशान हैं। स्कूल बंद होने से फीस आ नहीं रही है, लेकिन कई प्रकार के खर्चे जारी हैं, इससे कई संस्थाचालक अब स्कूल बंद करने के बारे में विचार कर रहे हैं। श्री तिवारी ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान लगभग हर व्यवसाय कुछ समय के लिए चालू भी हो गया था , लेकिन स्कूल एक भी दिन नहीं खुले ,इस प्रकार लॉकडाउन से सबसे ज्यादा नुकसान निजी स्कूलों के शिक्षकों और संस्थाचालकों को हुआ है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से निजी स्कूलों के शिक्षकों और संस्थाचालकों के लिए भी आर्थिक मदद घोषित करने की मांग की है। श्री तिवारी ने कहा कि एक वर्ष से स्कूल बंद रहने की स्थिति में मध्यमवर्गीय संस्थाचालकों व शिक्षकों के समक्ष विकट आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है।अनेक निजी स्कूलों का महीने का खर्चा लाखों में है,लेकिन आमदनी शून्य हो जाने से निजी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के संचालक और शिक्षक कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं.
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