1243 जर्जर इमारतों के पानी व बिजली कनेक्शन कटवाने में राजकरण ?

भिवंडी।। भिवंडी महानगर पालिका प्रशासन मानसून आने के पहले ही जर्जर इमारतों को मनुष्य विहीन करवाते हुए बिजली और पानी कनेक्शन खंडित करवा रही है.इस कार्रवाई में प्रभाग स्तर पर बड़ा भष्ट्राचार होने से इनकार नहीं किया जा सकता.बतादें कि पिछले वर्ष 21 सितम्बर 2020 को पटेल कंपाउंड स्थित तीन मंजिला जिलानी बिल्डिंग का आधा हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा था.जिसके मलबे में दबकर 39 लोगों की मृत्यु और 25 लोग घायल हुए थे.पिछले वर्ष हुए हादसे के कारण इस वर्ष किसी आपत्तिजनक घटना को रोकने और नागरिकों की जान माल सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बरसात के पहले ही मनपा आयुक्त डाॅ.पंकज आशिया ने सभी प्रभारी प्रभाग अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्रों में 30 वर्ष पूर्व बनाई गयी इमारत का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने के लिए इमारत मालिकों को नोटिस भेजने के लिए आदेश जारी किया है.वही पर तय सीमा के तहत इमारत का स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं होने पर इमारत खाली करवाकर पानी व बिजली कनेक्शन खंडित करने के लिए भी आदेश दिया है।

अवैध बांधकाम करवाने के लिए जनप्रतिनियों व प्रभारी सहायक आयुक्तो को मौका ?:
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों के भीतर शहर में लगभग 1700 अवैध इमारतें बनकर तैयार हो चुकी है.यही नहीं अधिकांश अवैध इमारतें स्थानीय जन प्रतिनिधियों तथा उनके गुर्गे ने बनवाई है.वर्तमानकाल में प्रभाग समिति क्रमांक 01 अंर्तगत 40- 50 अवैध इमारतें, प्रभाग समिति क्रमांक 02 में 35-40 अवैध इमारतें, प्रभाग समिति क्रमांक 03 अंर्तगत 30-40 इमारतें, प्रभाग समिति क्रमांक 04 में 25-35 अवैध इमारतें तथा प्रभाग समिति क्रमांक 05 अंर्तगत भी लगभग 35 अवैध इमारतें अर्धनिर्मित अवस्था में है.लाॅक डाउन होने के कारण बहुत से अवैध इमारतें का निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ है.किन्तु पाँचों प्रभाग समितियों में आज भी लगभग 100 से 150 अवैध इमारतों का निर्माण कार्य जारी है।
     
विदित हो कि भारी संख्या में अवैध इमारतें निर्मित होने के कारण शहर घना हो चुका है.भूमाफिया व बिल्डरों को अवैध इमारत बनाने के लिए जमीन की तलाश में दर दर भटकना पड़ रहा था.ऐसे समय में जिलानी बिल्डिंग हादस उनके लिए सोने पर सुहागा जैसे सिद्ध हुआ है. शहर में इमारतों की रजिस्टर सोसाइटी नहीं होने के कारण इमारत गिरने के बाद जमीन मालिक अथवा बिल्डर उक्त जमीन पर फिर से कब्जा कर लेता है.फिर उसी जमीन पर पुनः अवैध इमारतें बनाने के फिराक में प्रभारी सहायक आयुक्तो के साथ गठजोड़ कर इमारत बना लेता है.यही नहीं कुछ प्रभारी सहायक आयुक्त इस मौके को हाथ से नहीं जाने देने के लिए जो इमारतें पगड़ी अथवा भाड़ेकरी के तौर जमीन मालिकों द्वारा दिया गया है.उन इमारतों को खाली करवाने तथा तोड़ देने के लिए बकायदे जमीन मालिकों से सौदेबाजी कर रहे है ? इस खेल में राजकरण, पुढारी नेताओं का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.इस प्रकार के कृत्य अपराध करने में जुटे हुए है.जिसके कारण इन इमारतों में रहने वाले लोगों को लाॅक डाउन तथा मानसून सिर पर होने के बावजूद बेघर होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

रिपोर्टर

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