यूपी के मुख्यमंत्री योगी के सामने कूदे ओवैसी

रविशंकर मिश्रा की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से लड़ने के लिए हैदराबाद के भाईजान उत्तर प्रदेश में लैंड कर चुके हैं। तो यूपी चुनाव में एक तरफ योगी होंगे और दूसरी तरफ अखिलेश से लेकर मायावति, प्रियंका और औवैसी औवैसी ने यूपी के मैदान में उतरते ही राजभर के रूप में साथी खोज लिया है।

ओवैसी का सीधा टारगेट अखिलेश माया का मुस्लिम वोट बैंक हैं इसलिए यूपी में मुसलमान चेहरे को सीएम या डिप्टी सीएम बनाने की सीधी चुनौती अखिलेश को दे दी है। राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन के ऐलान के बाद आज पहली बार असदुद्दीन ओवैसी यूपी के दौरे पर थे। लखनऊ में राजभर से मुलाकात के बाद ओवैसी के बहराईच दौरे ने विपक्षी पार्टियों की नींद उड़ा दी है।

दरअसल यूपी में चुनाव से पहले ओवैसी और राजभर का गठबंधन छोटे दलों के साथ मिलकर मजबूत विकल्प बनने की कोशिश में जुटा हुआ है। जिससे उत्तर प्रदेश का महामुकाबला बेहद दिलचस्प होता जा रहा है। 

दरअसल ये पूरा खेल उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों का है, उत्तर प्रदेश में 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं और 10 फीसदी यादव वोटर। 403 में 135 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक है जबकि 70 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20 से 30% है। मुलायम से लेकर अखिलेश तक इन्हीं मुस्लिम और यादव वोटों के सहारे कुर्सी हासिल कर चुके हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में अखिलेश को 22 फीसदी वोट से कुछ कम वोट मिले थे। जिसमें एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम वोटों का था

मायावती भी दलित और मुस्लिम वोट के जरिए लखनऊ की लड़ाई जीत चुकी हैं। दलित वोट बैंक उनका कोर वोटर माना जाता है जबकि मुस्लिम वोट भी उन्हें मिलते रहे हैं। 2017 चुनाव में मायावती को 22 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। जिसमें 19 फीसदी मुस्लिम वोट का एक बड़ा भाग था।

इसके साथ कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों का सहारा है। सवर्ण जाति के कुछ वोट के साथ मुस्लिम वोट भी कांग्रेस को मिलते रहे हैं। 2017 में कांग्रेस को छह फीसदी वोट ही हासिल हुए थे जब पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।  इसके साथ कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों का सहारा है। सवर्ण जाति के कुछ वोट के साथ मुस्लिम वोट भी कांग्रेस को मिलते रहे हैं। 2017 में कांग्रेस को छह फीसदी वोट ही हासिल हुए थे जब पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

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