कोटिया गांव में पशुचर भूमि पर जबरिया निर्मित कराए जा रहे प्रधानमंत्री आवास

क्षेत्रीय लेखपाल की रिपोर्ट पर तहसीलदार का आदेश भी चौकी प्रभारी की नजर में बौना ...


अमानीगंज, अयोध्या ।। खंडासा थाना क्षेत्र के कोटिया गांव में पशुचर के खाते की आरक्षित भूमि पर प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों द्वारा क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा बार-बार निर्माण किए जाने से मना किए जाने के निर्देश दिए जाने के बावजूद भी प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों द्वारा जबरिया निर्माण किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। हालांकि क्षेत्रीय लेखपाल की रिपोर्ट पर तहसीलदार मिल्कीपुर की ओर से खंडासा थानाध्यक्ष को पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए थे किंतु चौकी प्रभारी खंडासा की मिलीभगत से अवैध कब्जेदारों के हौसले बुलंद हो गए हैं और वह अवैध निर्माण पूरे जोर-शोर से कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक खंडासा थाना क्षेत्र अंतर्गत कोटिया गांव के राजस्व अभिलेखों में गाटा संख्या 2344 पशुचर के खाते में दर्ज है। क्षेत्रीय लेखपाल मसरूर अहमद द्वारा बीते 21 अगस्त को तहसीलदार मिल्कीपुर को एक रिपोर्ट प्रेषित की गई जिसमें उन्होंने चारागाह के उपरोक्त भूमि पर प्रधानमंत्री अब आपके लाभार्थियों रामदीन पुत्र सुक्खू एवं साधु पुत्र सुंदर सहित आधा दर्जन से अधिक लोगों द्वारा दबंगई के बल पर अवैध कब्जा करते हुए प्रधानमंत्री आवास का निर्माण किया जा रहा है। क्षेत्रीय लेखपाल ने तहसीलदार को प्रेषित की गई रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बार-बार मना किए जाने के बावजूद भी अवैध अतिक्रमण कतई मानने को तैयार नहीं हैं। क्षेत्रीय लेखपाल मशरूम खान ने उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों का जिक्र करते हुए स्थानीय थाना पुलिस का हस्तक्षेप करवाते हुए अवैध निर्माण रुकवा जाने की मांग की थी। छतरी लेखपाल की रिपोर्ट पर तत्क्षण ही तहसीलदार पल्लवी सिंह ने थानाध्यक्ष खंडासा को पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराते हुए अवैध निर्माण रुकवाने के निर्देश दिए थे। किंतु खंडासा चौकी प्रभारी की नजर में तहसीलदार का आदेश बौना रहा और उन्होंने राजकीय भूमि पर दबंगई के बल पर कराए जा रहे प्रधानमंत्री आवास का निर्माण रोके जाने की जहमत नहीं मोल लिया। मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू तो यह है कि सरकार की ओर से प्रदान किया गया प्रधानमंत्री आवास गैर विवादित भूमि में ही निर्मित कराया जाना चाहिए किंतु विकास विभाग के अधिकारियों को भी इस आदेश निर्देश का कोई भी ख्याल नहीं रहा और उन्होंने आंख मूंदकर ऐसे व्यक्तियों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ दे दिया जिसके चलते तहसील प्रशासन को कार्यवाही होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है हालांकि यदि तहसील प्रशासन ने समय रहते न चेता तो राजकीय भूमि पर निर्मित कराए जा रहे प्रधानमंत्री आवास हटाए जाने की कार्यवाही किए जाने पर विकास विभाग को भारी क्षति का भी सामना करना पड़ सकता है।

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