
अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित विचारगोष्ठी का आयोजन
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 02, 2025
- 21 views
वक्ताओं ने कहा – "उनके आदर्शों पर चले तो सुलझ सकते हैं कई प्रशासनिक संकट"
भिवंडी। वाचन मंदिर और टिलक मंदिर समिति की ओर से लोकमान्य तिलक पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में इस वर्ष एक विशेष विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर के 300वीं जयंती को केंद्र में रखते हुए उनके जीवन और कार्यों पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम का आयोजन टिलक मंदिर सभागृह में किया गया, जहां मंच पर वाचन मंदिर संस्था के अध्यक्ष सुधीर सिंगासने, टिलक मंदिर ट्रस्ट के गणेश दांडेकर उपस्थित थे। इस चर्चासत्र में इतिहासकार यशवंत कुंटे, राष्ट्रसेविका समिति की सदस्या राधा जोशी तथा साक्षात्कारकर्ता मिलिंद पलसुले प्रमुख रूप से सहभागी हुए।
राधा जोशी ने अहिल्याबाई के बाल्यकाल, विवाहोत्तर जीवन, निजी कोष से किए गए मंदिर निर्माण, घाटों की रचना, कला और साहित्य को दिया गया प्रोत्साहन, विधवा महिलाओं के लिए न्याय और तेज न्याय प्रणाली जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अहिल्याबाई ने सामाजिक समरसता को सुदृढ़ किया और महिलाओं के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। वहीं, इतिहासकार यशवंत कुंटे ने उनके कुशल शासन, निर्णय क्षमता, संकटों का सामना करने की दृढ़ता, राजधर्म पालन की सजगता और प्रजाहित में लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई एक आदर्श प्रशासक थीं जिन्होंने राजनीति में संतुलन, पर्यावरण रक्षा और धार्मिक सौहार्द्र बनाए रखने पर विशेष बल दिया। साक्षात्कारकर्ता मिलिंद पलसुले ने अत्यंत सटीक और गहन प्रश्नों के माध्यम से दोनों वक्ताओं से अहिल्याबाई के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करवाया।कार्यक्रम के अंत में संस्था के कार्यवाह किशोर नागवेकर ने सभी वक्ताओं और उपस्थित नागरिकों का आभार व्यक्त किया।वक्ताओं का स्पष्ट मत था कि यदि आज के शासक अहिल्याबाई होलकर के शासन के सिद्धांतों को अपनाएं, तो अनेक प्रशासनिक व सामाजिक समस्याओं का समाधान संभव है।
रिपोर्टर