यूपी विधानसभा मे भाजपा "एस-4" फार्मूला के आधार पर उम्मीदवारों का चयन कर सकती है।

मुंबई।। उत्तर प्रदेश के आगामी महासमर के लिए सभी पार्टियों ने अपनी रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है। सत्ताधारी भाजपा को पटखनी देने के लिए वैसे तो तीनों विपक्षी सपा, बसपा और कांग्रेस कमर कसे हुए हैं, लेकिन वह एक साथ मिलकर लड़ेंगे या अलग-अलग इसपर अंतिम फैसला लेना बाकी है।

यह बात भी तय है कि अगर ये तीनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी तो योगी को सत्ता में दोबारा काबिज होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए गठबंधन तो तय है लेकिन किस पार्टी का किसके साथ होगा यह तीन महीने बाद ही पता चलेगा। फिलहाल तो सभी पार्टियां अपनी ताकत दिखाने और जुटाने में लगी हुईँ हैं। जिस पार्टी की ताकत अधिक दिखायी देगी उसी के आधार पर गठबंधन में उसे चुनाव लड़ने के लिए सीटें भी अधिक हासिल करने में सफलता मिलेगी।

दूसरी ओर भाजपा के लिए इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव को फतेह करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती टिकट के लिए प्रत्याशियों का चयन करना है। मोदी-योगी के नाम और चेहरे पर पचास फीसद जीत तो भाजपा के पक्ष में है, लेकिन सौफीसद जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशियों का सही चुनाव भी जरूरी है। इसके लिए पार्टी चार 'स' के सूत्र को अपनाने जा रही है। पार्टी के ये चार स, होंगे संगठन, संघ, सांसद और समाज। यानी भाजपा के किसी भी विधायक का टिकट तभी फाइनल होगा जब इन चारों स की मुहर उसपर लगी होगी।

यदि कहीं कोई उलझाव या दिक्कत आती है तो कम से कम तीन की मुहर अवश्य चाहिए होगी। इन तीन स में समाज में प्रत्याशी छवि को प्रमुखता दी जाएगी। यदि बाकी तीन कसौटी यानि सांसद, संघ और संगठन में से कोई एक सहमत भी नहीं होता या उसकी मंजूरी नहीं भी होगी तो भी समाज में प्रत्याशी की छवि के आधार पर टिकट फाइनल हो जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सभी जिला अध्यक्षों को इसके लिए सक्रिय कर दिया। इतना ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ क्षेत्रवार सांसदों की बैठक भी शुरू हो चुकी हैं। इसी सिलसिले में राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछले माह लखनऊ का दौरा भी कर चुके हैं। उन्होंने संगठन के पदाधिकारियों के जिलेवार रिपोर्ट भी मांगी है।

इतना ही नहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत भी पिछले माह मुरादाबाद सहित पश्चिम उत्तर के कई जिलों का दौरा कर चुके हैं। माना जा रहा है पश्चिम उत्तर प्रदेश में करीब साठ फीसद टिकट बदले जाएंगे। इनमें नजदीकी अंतर से जीतने वाले प्रत्याशियों के टिकट भी शामिल है। उन विधायकों की रिपोर्ट भी पार्टी की बैठकों में रखी जाएगी, जिन्होंने पिछले पांच सालों में सिर्फ अपने लिए काम किया और समाज के कामों को नजरअंदाज किया है। होने वाले इस बदलाव से मुरादबाद मंडल भी अछूता नहीं रहेगा। अगले दो-तीन महीनों में स्थिति 50 फीसद तक और स्पष्ट हो जाएगी।

रिपोर्टर

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