यूपी विधानसभा 2022 जीतने के लिये भाजपा ने बनाये "जातिगत चक्रव्यूह"

मुंबई।। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर जातिगत गणित पर ही फोकस किया है। बीजेपी आलाकमान की तरफ से गुरुवार को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई। इसमें भी जातिगत गणित को ध्यान में रखकर ही चुनावी चौसर बिछायी गई है। बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक नई कार्यकारिणी में यूपी से 41 चेहरों को जगह दी गई है लेकिन इसमें भी जातिगत गणित साधने का प्रयास किया गया है। कार्यकारिणी में 12 नए सदस्यों को जगह मिली है जिसमें 6 ओबीसी,एक दलित और दो ब्राह्मण चेहरे शामिल हैं। यूपी चुनाव को देखते हुए हालांकि इससे पहले भी मोदी कैबिनेट के विस्तार में जातीय गणित देखने को मिला था बाद में यूपी के प्रभारियों की तैनाती में भी बीजेपी ने इसी समीकरण को आगे बढ़ाते हुए ओबीसी चेहरे धर्मेंद्र प्रधान को मुख्य चुनाव अधिकारी बनाया था।

जिन नए चेहरों को टीम में जगह मिली है उसमें यूपी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य वर्तमान में पड़रौना सीट से विधायक हैं जबकि यूपी के मंत्री दारा सिंह चौहान मऊ जिले की मधुबन सीट से विधायक भी हैं। दारा सिंह चौहान नुनिया समाज से आते हैं जिनकी पूर्वांचल में अच्छी खासी तादाद है। इन दोनों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देने के पीछे मंशा इन इलाकों में जातिय समीकरण को दुरुस्त करना है। ये दोनों यूपी की राजनीति और पूर्वांचल के बड़े चेहरे हैं और दोनों मायावती का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।

इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी बैकवर्ड क्लास से आते हैं। इनको भी इस बार जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर ही शामिल किया गया है। इसके अलावा पूर्वांचल में राजभरों का समीकरण दुरुस्त करने के लिए कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि पूर्वांचल में सुहेलेदव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर को काउंटर करने के लिए ही अनिल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है। क्योंकि ओम प्रकाश राजभर ने 27 अक्टूबर को मऊ में एक बड़ी महारैली का ऐलान किया है। इस रैली के बहाने वह भागीदारी मोर्चा की ताकत दिखाने की तैयारी में हैं।

इसी तरह, फतेहपुर की सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को भी इस बार केंद्रीय कार्यकारिणी में पहली बार जगह दी गई है। ज्योति निषाद समाज से आती हैं और पूर्वांचल की लगभग 60 विधानसभा सीटों पर इनकी अहम भूमिका मानी जाती है। इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए साध्वी को कार्यकारिणी में जगह दी गई है। भाजपा के सूत्रों का दावा है कि साध्वी को आगे लाने की पीछे बीजेपी की रणनीति यही है कि पार्टी के अंदर ही निषाद (मछुआरा) समाज की एक लीडरशिप विकसित की जाए ताकि पूर्वांचल में संजय निषाद की नकेल कसा जा सके। संजय निषाद को हाल ही में बीजेपी ने एमएलसी बनाया है। काफी समय से संजय बीजेपी पर गठबंधन का दबाव बना रहे थे। हालांकि संजय की मंत्री बनने की इच्छा बीजेपी ने पूरी नहीं की।

बीजेपी ने धौरहर से सांसद रेखा वर्मा को भी पहली बार कार्यकारिणी में जगह दी है। ये कुर्मी समाज से आती हैं। ये कई सालों तक पार्टी की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। लोकसभा 2014 और 2019 में रेखा वर्मा ने कांग्रेस के कद़दावर नेता जितिन प्रसाद को चुनाव में हराया था। हालांकि जितिन प्रसाद अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और उन्हें योगी सरकार में मंत्री भी बनाया जा चुका है। बीजेपी का दावा है कि रेखा वर्मा को आगे लाने के पीछे मकसद यह है कि कहीं स्थानीय कार्यकर्ताओं को ये न लगे कि धौरहरा में बीजेपी अपने कैडर के बजाए बाहरियों पर ज्यादा मेहरबान है। सूत्र यह भी बताते हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में रेखा वर्मा की जगह जितिन पर भी दांव लगा सकती है।

बीजेपी ने बरेली से सांसद संतोष गंगवार को नई कार्यकारिणी में जगह दी है। गंगवार को रूहेलखंड इलाके में कुर्मी बिरादरी का बड़ा चेहरा माना जाता है। चुनाव में जाने से पहले बीजेपी ने रूहेलखंड में इस जाति को साधने की कोशिश की है। संतोष गंगवार को हाल में मोदी कैबिनेट की विस्तार में अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी। गंगवार से मोदी ने इस्तीफा ले लिया था। उनकी जगह मोदी कैबिनेट में नए चेहरे को जगह दी गई थी।

ओबीसी के अलावा नई कार्यकारिणी में आलाकमान ने अपर कास्ट का भी ख्याल रखा है। बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पहली बार यूपी के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक को भी शामिल किया गया है। पाठक भी बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे और इसका इनाम भी बीजेपी ने दिया था। अब वह भाजपा के ब्राह्मण चेहरे के तोर पर शामिल किए गए हैं। इसके अलावा बीजेपी ने यूपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर जगह दी है। दरअसल लंबे समय से लक्ष्मीकांत वाजेपयी को लेकर काफी अटकले लगाईं जा रहीं थीं। यह भी कयास लगाए गए कि उन्हें पार्टी एमएलसी बनाकर योगी कैबिनेट में ला सकती है लेकिन यूपी भाजपा की अंदरूनी कलह उनपर भारी पड़ गई जिससे उनको न तो एमएलसी बनाया गया और न ही मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।

ओबीसी और ब्राह्मण को साधने के साथ ही बीजेपी ने नई कार्यकारिणी में दलित चेहरे को भी जगह दी है। उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से इस्तीफा लेने के बाद आलाकमान ने हाल ही में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। ऐसा माना जा रहा है कि आगरा क्षेत्र में जाटव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ही बेबीरानी का कद लगातार बढ़ाया जा रहा है। बेबीरानी मौर्या आगरा की मेयर भी रह चुकी हैं और चंद्रशेखर और मायावती को काउंटर करने के लिए बीजेपी एक नये हथियार के तौर पर तैयार कर रही है।

80 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा उत्तर प्रदेश से पार्टी के 12 वरिष्ठ सदस्य हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, महेंद्र नाथ पांडे, स्मृति ईरानी, एमए नकवी, साध्वी निरंजन ज्योति, संजीव बालियान के अलावा मुरली मनोहर जोशी, संतोष गंगवार, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, बृजेश पाठक और राज्यसभा सांसद अनिल जैन शामिल हैं।

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