हाउस टैक्स लगाने के पहले अधिकारी मांगते है अपना टैक्स

प्रभाग समितियों में कैंप लगाकर लगाया जायें संपत्तियों पर टैक्स --- नागरिक 

भिवंडी।। भिवंडी मनपा के हाउस टैक्स विभाग में भारी भष्ट्राचार व्याप्त होने के कारण संपत्ति धारकों को अपने संपत्तियों का टैक्स लगवाने के पहले अधिकारियों को उनका टैक्स देना पड़ रहा है। बतादें कि पालिका क्षेत्र अंर्तगत बड़े पैमाने पर अवैध इमारतों का निर्माण होता रहा है। आनन - फानन में बनाई गयी अवैध इमारतों के मालिकों ने मनपा अधिकारियों से सांठगाठ कर संपत्तियों का हाउस टैक्स लगवा लेते है फिर वही टैक्स पावर्ती दिखा कर बिल्डर भी भोली भाली जनता को फ्लैट व दुकानो को बिक्री कर देता है। इसके आलावा भी कई संपत्तियां ऐसी है कि जो पिछले 10-10 वर्षो से हाउस टैक्स से वंचित है। पालिका के सर्वेक्षण 2021-22 के दरमियान टैक्स से वंचित 12,640 संपत्तियां पाई गयी है। मनपा अधिनियम के अनुसार टैक्स से वंचित सभी संपत्तियों पर तत्काल हाउस टैक्स लागू कर देना चाहिए था। किन्तु तीन महीना बीत जाने के बाद भी ऐसी संपत्तियों पर टैक्स लागू नहीं किया गया। सुत्रों की मानें टैक्स विभाग में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को जिस संपत्ति के टैक्स लगाने में उन्हें मलाई मिलती है। उन्ही संपत्तियों पर टैक्स लगाया जाता है। बतादें कि मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख के आदेशानुसार आर्थिक उत्पन्न बढ़ाने के उद्देश्य से पाँचों प्रभाग अधिकारियों व कर निरीक्षकों ने अपने अपने क्षेत्रों में भू -भाग स्तर पर संपत्तियों का सर्वेक्षण करवाया। जिसका रिपोर्ट भी मनपा  आयुक्त को कर निरीक्षकों ने सौंप दिया है। ऐसी संपत्तियों पर आयुक्त ने तत्काल टैक्स लगाने की जिम्मेदारी करमुल्यांकन विभाग को सौंपी दिया है। इसकी जिम्मेदारी मिलने पर विभाग में पहले से बैठे रिश्वतखोर अधिकारियों की चांदी निकल पड़ी है। ऐसी संपत्ति मालिकों से मोटी रकम लेकर हाउस टैक्स लगाने का खेल शुरू हो गया है। जिन संपत्तियों से उन्हें मलाई नहीं मिलती उन संपत्तियों पर शासन निर्णय व महासभा ठहराव के नियमों का उल्लंघन करते हुए तीन पट (शास्ती) दर प्रमाणे टैक्स लागू कर दिया जाता है। तीन पट (शास्ती) दर प्रमाणे लगे टैक्स भरने में कर दाता असमर्थ रहते है जिसके कारण मजबूर संपत्ति मालिक को ऐसे रिश्वतखोर अधिकारी अपना शिकार बनाते हैं। सुत्रों की माने तो हाउस टैक्स लगाने के लिए प्रति स्क्वायर फुट 15 से 20 रुपये के हिसाब से पैसे की मांग की जाती है। 600 फुट की संपत्तियों का हाउस टैक्स लगाने के  पहले नागरिकों से 9000 से 12,000 हजार रुपये तक देना पड़ता है। जिन्हें किसी प्रकार की रशीद नहीं दी जाती है आश्चर्य की बात यह कि कुछ नगरसेवक भी पैसे लेकर इसी कतार में खड़े रहते दिखाई पड़ते है। यह पैसा कहा जाता है ? जागरूक नागरिक तथा कुछ नगरसेवको की माने तो मनपा प्रशासन का सबसे बड़ा भष्ट्र विभाग हाउस टैक्स विभाग है। यहाँ पर संपत्तियों का टैक्स लगवाने के पहले अधिकारियों को टैक्स देना पड़ता है। सुत्र यहाँ तक बताते है इस विभाग में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों को मनपा के राजस्व व उत्पन्न के पहले अपनी आमदनी दिखाई पड़ती है। इस भष्ट्राचार के खिलाफ जागरूक नागरिकों व कई नगरसेवकों ने संपत्तियों का टैक्स प्रभाग स्तर पर, प्रभाग अधिकारी व कर निरीक्षक द्वारा लगाने की मांग कर चुके है। कई संपत्ति धारकों की मानना है कि जिस तरह कोव्हिड वैक्सीन लगाने के लिए मनपा प्रशासन ने युद्ध स्तर पर 15 स्वास्थ्य केन्द्रों के आलावा 15 अन्य जगहों पर कैंप लगाकर नागरिकों का टीकाकरण कर कोरोना नामक महामारी को दूर भगाने के लिए प्रयासरत है ठीक उसी तरह टैक्स विभाग में फैले कोरोना रूपी भष्ट्राचार व रिश्वतखोरी को बंद करने के लिए 90 वार्डों में कैंप लगाकर संपत्तियों का सर्वेक्षण किया जायें तथा तत्काल उन्हें टैक्स लगी पावती देने की मांग धीरे धीरे जोर पकड़ी जा रही है। 

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