भिवंडी पुलिस के छत्रछाया के नीचे पल रहे बोगस पत्रकार ? कर रहे धड़डले से वसूली पुलिस प्रशासन सुस्त

भिवंडी ।। भिवंडी शहर में चुनाव अथवा त्योहार आने पर पत्रकारों को भी फर्जी पत्रकारों का सामना करना पड़ता है। दर असल जिन पत्रकारों को पत्रकारिता का ज्ञान नहीं, वे लोग भी हाथ में माइक बूम लेकर अपने आपको आप को बड़ा पत्रकार कहते हुए शहर में सरेआम, बिना रोक टोक घूम रहे है। इसके साथ ही ऐसे लोगों द्वारा अपने वाहनों पर बड़े बड़े शब्दों में प्रेस अथवा पत्रकार लिखवाकर इस शब्द का भी दुरूपयोग कर रहे है। फर्जी पत्रकार अब पुलिस थानों में भी बकायदे अपना विजिटिंग कार्ड देकर वसूली करना शुरू कर दिया है। इन फर्जी पत्रकारों के डर से पुलिस भी इनकी आवभगत करने में जुटी हुई है। 

बोगस पत्रकारों की गिरफ्तार कर ढिंढोरा पीटने में मस्त :
भिवंडी पुलिस ऐसे फर्जी पत्रकारों को कभी कभी किसी जुर्म में गिरफ्तार कर लेने पर बकायदे ढिंढोरा पीटते हुए पत्रकारों के पास खबर लिखने के लिए एफ.आई.आर.की प्रति भेज दी जाती है। किन्तु आश्चर्य की बात यह कि ऐसे फर्जी पत्रकारों पर कार्यवाही करने के बजाय त्योहारों के समय पुलिस विभाग द्वारा आवभगत किया जाता है। फर्जी पत्रकार का मनोबल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आनन - फानन में फर्जी न्युज चैनलों अथवा बंद स्थानीय अखबारों का विजिटिंग कार्ड बनाकर त्योहारों के समय पुलिस विभाग से वसूली करने के लिए पुलिस कर्मियों को ही कार्ड थमा दिये जाते है। शायद पुलिस विभाग भी ऐसे पत्रकारों के झुंड की डर से त्योहारों के समय बकायदे इनकी आवभगत करती नजर आती है। पुलिस विभाग के आलावा ट्रैफिक पुलिस विभाग कर्मी का वाहन चेकिंग के दरमियान विडियो बनाकर वायरल करने की धमकी के डर से फर्जी पत्रकारों का त्योहारों के समय जमकर सत्कार किया है। जिन गाड़ियों पर प्रेस अथवा पत्रकार लिखा होने पर कार्रवाई होनी चाहिए ऐसे गाड़ियां ट्रैफिक पुलिस कार्यालयों के सामने खड़ी होने के बावजूद कार्यवाही नही की गयी। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या ऐसे फर्जी पत्रकार पुलिस के छत्रछाया के नीचे पल रहे है। जो इन्ही से त्योहारों के समय वसूली करने पहुंच जाते है।
पत्रकारिता के आड़ में कालाबाजारी करने वाले ऐसे स्वयं घोषित पत्रकार असल में पत्रकारिता को भी धूमिल कर रहे है। शहर के जागरूक नागरिकों की माने तो गल्ली मोहल्ले के बेरोजगार युवक अथवा फंदेबाज अब सोशल नेटवर्किंग पर यूट्यूब न्युज जैसा विडियो बनाकर फेसबुक अथवा वाट्शाप ग्रुपों में वायरल कर स्वयं घोषित पत्रकार बन जाते है। ऐसे लोग माइक बूम और स्वयं हस्ताक्षरित प्रेस कार्ड बनाकर तैयार कर लेते है। इसके बाद अपने आप को पत्रकार कहते हुए इंटरनेट साइटों पर अपनी विडियो व तस्वीरें वायरल करना शुरू कर देते है। इससे लोग इन सबको पत्रकार समझकर इनसे धोखा खा जाते हैं। ऐसे पत्रकार शहर के राजनीतिक दलों के नेताओं, शासन व प्रशासन के अधिकारियों की बाइट लेकर अथवा उनके कार्यक्रमों का न्युज जैसा विडियो बनाकर वायरल करते रहते है। ऐसे फर्जी न्युज चैनलों पर कार्रवाई करने के लिए कई पत्रकार संगठना आगे आकर पुलिस विभाग में शिकायत भी दर्ज करवाया है। इसके साथ ही मांग भी किया है कि ऐसे फर्जी पत्रकारों पर लगाम लगाने के लिए शासन व प्रशासन‌‌ के अधिकारियों पर अपनी बाइट देने के पहले इनकी जांच परख कर‌‌ लेना चाहिए तथा यूट्यूब न्युज चैनलों पर बाइट देने वाले अधिकारियों पर कानून के नियमों के तहत कार्रवाई की जाऐ। इससे फर्जीवाडा करने वाले फर्जी पत्रकार बेनकाब हो सकते है।

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