संविधान के माध्यम से डाॅ.बाबासाहेब ने समाज के सभी वर्गो के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान किया - अधिवक्ता मनीष कानिटकर

भिवंडी।। विश्वरत्न डाॅ. बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान किया है। स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे आदि तत्वों को ध्यान में रखते हुए भारत के संविधान की रचना की है। देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान पढ़ना और इसकी चर्चा करना चाहिए। यही नहीं संविधान के प्रावधानों के अनुसार ही नागरिकों को आचरण करना महत्वपूर्ण है। 75 वें स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर वाचन मंदिर में व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया था। जिसमें विधि विद्वान मनीष कानिटकर ने अपने वक्तव्य में कहा। इस अवसर पर वचन मंदिर के अध्यक्ष सुधीर सिंगसाणे व वकील कु.मयूरी खरे मौजूद थे। विधि विद्वान कानिटकर ने संविधान निर्माण और प्रारूप का विषय प्रस्तुत करते हुए संविधान के समस्त ढाँचे का उल्लेख करते हुए कहा कि मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद है। संविधान में सभी घटनाओं का जिक्र किया गया। संविधान का उद्देश्य संविधान का मूल है। मूल संविधान के खिलाफ कोई कानून नहीं बनाया जा सकता है। यदि ऐसा कानून बनाया जाता है। तो यह असंवैधानिक होगा और सर्वोच्च न्यायालय के पास ऐसे कानून को निरस्त करने की शक्ति होगी। संविधान भारतीय संघीय व्यवस्था,केन्द्र के अधिकार,राज्य के अधिकार, भारतीय नागरिकता और राज्य की नीति को परिभाषित किया गया है। और सभी आम नागरिकों के लिए समान अवसर और न्याय के समान अवसर भी प्रदान करता है। संविधान गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता भी प्रदान करता है। जैसा कि संविधान के अनुसार समाज व्यवहार नहीं करता है जिसके कारण समाज में भावनात्मक तथा धार्मिक मतभेद और संघर्ष उत्पन्न होते हैं। कानिटकर ने यह भी का कि समाज के लोग संविधान के अनुसार काम करें तो कई मुद्दे कम हो जायेगें। वही पर दूसरे विधि विद्धान कुमारी मयूरी खरे ने संविधान में निहित मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया। आम नागरिक अपने मूल अधिकारों के प्रति जागरूक है लेकिन वे भूल रहे हैं कि उनका कर्तव्य क्या है। मौलिक अधिकार व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना भी जरूरी है। यह समझना भी हमारा कर्तव्य है कि हमें देश के लिए क्या करना है। मयूरी खरे ने यह भी कहा कि भारत में कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है यदि लोग संविधान के आदर्शों को ध्यान में रखकर काम करें। इस अवसर पर कार्यवाहक किशोर नागावेकर, कोषाध्यक्ष उज्ज्वल कुंभार, सह कार्यवाहक मिलिंद पलसुले, ज्ञानेश्वर गोसावी कार्यक्रम प्रमुख योगेश वल्लल, सुजाता वाडके लाइब्रेरियन, प्रणाली खोड़े, शलाका मदान आदि पदाधिकारियों ने कार्यक्रम सफल बनाने में  विशेष प्रयास किया।

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