विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में कृषि विश्वविद्यालय में हुआ सेमिनार का आयोजन

मिल्कीपुर, अयोध्या ।। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह के निर्देशन में कृषि महाविद्यालय के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग द्वारा रविवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल सेमिनार का आयोजन हुआ। 

कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह ने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में बताया कि सामान्य जनमानस को मृदा स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए वर्ष 2014 से प्रति वर्ष विश्व मृदा दिवस का आयोजन किया जाता है। उन्होंने मृदा परिवरधन हेतु क्षारीय तथा लवणीय मृदा की उत्तम प्रबंधन तकनीकों की आवश्यकता पर भी बल दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ वेद प्रकाश, कृषि अधिष्ठाता ने मुख्य वक्ता का स्वागत करने के उपरांत विश्व मृदा दिवस मनाए जाने एवं मृदा संरक्षण की विविध तकनीकों  से अवगत कराया।

इस सेमिनार में समस्याग्रस्त अतिलवणीय और सोडिक मिट्टी की अधिकता वाले कृषि प्रक्षेत्र, जो वस्तुत: गंगा डेल्टा के तराई इलाकों में मौजूद हैं, के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन की वैज्ञानिक तकनीकों पर  मुख्य वक्ता डॉ विनय कुमार मिश्र ने विस्तृत चर्चा की । डॉ मिश्र ने मृदा की लवणता तथा क्षारता के बनने और बढ़ने के इतिहास से लेकर उसके कारणों एवं निवारण की वैज्ञानिक तकनीकों तथा फसल उत्पादन संवर्धन के विभिन्न तरीकों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।

डॉ मिश्र वर्तमान में भा० कृ० अ० प० के उमियाम, मेघालय स्थित उत्तर-पूर्वी पर्वतीय शोध संस्थान के निदेशक हैं। 

 कार्यक्रम का संचालन डॉ आलोक कुमार पाण्डेय ने किया । कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ आर आर सिंह, प्राध्यापक, मृदा विज्ञान विभाग ने बताया कि हमारे भोजन का 95% हिस्सा मिट्टी से ही आता है। इसके अलावा डॉ सुरेश कुमार, डॉ राबिन कुमार, डॉ आलोक कुमार सिंह, डॉ सुशील कुमार सिंह, डॉ समीर कुमार सिंह, डॉ शंभू प्रसाद  एवं डॉ राज बहादुर ने कार्यक्रम के सफल संचालन में सहयोग प्रदान किया । 

इस कार्यक्रम में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें मुख्य रूप से कृषि शिक्षा से जुड़े प्राध्यापक एवं कृषि संकाय के  छात्र थे। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि मुख्य अतिथि डॉ मिश्र द्वारा वर्णित की गई समस्याग्रस्त मृदा के स्वास्थ्य प्रबंधन की विभिन्न भौतिक, रासायनिक एवं जैविक विधियां तथा उनके विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण और किसानों के हित के लिए उनके सुगम प्रयोग के तरीको से सभी प्रतिभागी अत्यंत लाभान्वित हुए।

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