ब्रह्माकुमारी आश्रम पर मनाई गई बसंत पंचमी

तलेन ।। बसंत पंचमी आते ही हर भारतवासी के मन में हर्ष उल्लास छा जाता है एक सुंदर सा ऋतु परिवर्तन का मौसम  यह संकेत है इसी उपलक्ष्य में आज आजादी के अमृत महोत्सव स्वर्णिम भारत की ओर थीम पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया गया स्थानीय सेवा केंद्र तलेन में आज मां सरस्वती जी की चेतन झांकी सजाई गई एवं आरती उतार कर सभी ने दीप प्रज्वलित किया इस मौके पर 

चंद्र सिंह जी उस्ताद, लक्ष्मी नारायण यादव ,  हजारी लाल मालवीय एचएम  , जगदीश प्रसाद यादव   , सभी ने मिलकर दीप प्रज्वलित किया  तथा  सेवा केंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी लक्ष्मी दीदी ने  बताया बसंत पंचमी का महत्व हवाई बदलने लगी है और हम सभी इस बदलते हुए रितु  का खुशी से उल्लास से इस मौसम का स्वागत करते हैं एव त्योहार के रूप में बसंत पंचमी बनाई जाती है हम भारतवासी कितनी सौभाग्यशाली हैं कि हर 2 माह बाद प्रकृति परिवर्तनशील होता है और हम पर प्रकृति का आह्वान करते हैं बिल्कुल इसी तरह बसंत पंचमी का भी बसंत बहार का आगमन है और प्रकृति में भी  एक नई जीवन की  चेतना आ जाती है डाल , डालिया  झूमने लगती है और कोयल की कू मैं यह धरती गूंज उठती है हर भरी फूल पत्ती खुशियों से नाच उठते हैं पीली सरसों से यह सजीव हुई धरती जैसे वातावरण तरंगित हो उड़ती है ऐसे ही मनुष्य के अंदर भी  नई उमंग की तरंगी उठती है और बसंत पंचमी का   यह  त्योहार होली के रंगों के साथ ही समाप्त होता है आज का ही दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं और आज जयंती के रूप में भी मनाते हैं कहते हैं मां सरस्वती जिनको विद्या ज्ञान वह विवेक की देवी कहा जाता है अंधकार में जीवन में इंसान को सही राह पर ले जाने का बीड़ा मां सरस्वती वीणा वादिनी को दिया गया

 ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तब उन्होंने मनुष्यो की रचना की फिर उन्होंने अनुभव किया कि इससे मनुष्य के उन्नति व संसार की गतिविधि नहीं चल सकती फिर ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की सहायता से मां सरस्वती चतुर्भुज नारी की उत्पत्ति की जिसके एक हाथ में वीणा दूसरे हाथ में ग्रंथ और तीसरे हाथ में माला और चौथे में वरमुद्रा ,  मां सरस्वती   ने अपनी पहली वीणा बजा कर

सा स्वर  सात सुर का उद्गम हुआ इस संसार की पशु पक्षी जल पर्वत वायु सबको एक सुर में बांध दिया जिसका स्वरूप से शुरू होता है और मां को कमल आसन धारी दिखाते हैं इसका मतलब है कि कमल कीचड़ में रहकर भी स्वच्छ और पवित्र रहता है  हम कैसे भी विचार वालों के साथ रहे पर उनका बुरे विचार  हमारे ऊपर प्रभाव ना डालें यही जीवन का सार है इसीलिए कहते हैं कि जब भी सोचो अच्छा सोचो ना कभी किसी के लिए बुरा सोचो ना बुरा कहो पता नहीं कब हमारे जीभा पर मां सरस्वती का विराजमान हो और जो हम कहे वह सत्य हो जाए इसीलिए अच्छा सोचेंगे तो अच्छा ही मिलेगा । तभी स्व परिवर्तन  होगा और विश्व को भी परिवर्तन कर सकेंगे इस तरह बसंत उत्सव मनाया गया और नगर के वरिष्ठ गणमान्य संजू भट्ठल शिव प्रसाद शर्मा श्याम सोनी जी मुकेश जी यादव पत्रकार कैलाश मोहन यादव जी एवं ईश्वरी परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे सभी का मुंह मीठा कराया गया

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