सिलेंडर के फायदे बताने को खर्च होंगे 68 लाख

 वाराणसी :  रसोई गैस के बढ़ते दामों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर लोगों ने रसोई गैस सिलेंडर लेना बंद कर दिया है।  उज्ज्वला योजना के तहत हुए गैस कनेक्शन के बाद 80 प्रतिशत लोगों के सिलेंडर एजेंसी पर वापस नहीं आए हैं। अब सरकार एक एनजीओ के माध्यम से जिले के ग्रामीणों को 68 लाख 58 हजार रुपये खर्च करके गैस सिलेंडरों के  उपयोग के लिए जागरूक कर रही है।

एक मई 2016 को सरकार ने बलिया से उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया था। योजना के तहत अब तक जिले में 98 हजार कनेक्शन दिए गए हैं। इनमें लगभग 10 हजार गैस सिलेंडर ही एजेंसी पर वापस लौटे हैं। शेष ने दोबारा सिलेंडर भरवाया ही नहीं। मंहगाई के कारण ज्यादातर लोगों ने अपने गैस सिलेंडर दुकानदारों को बेच दिए हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लोगों को जागरूक करने के लिए बनारस के एक एनजीओ सदभावना संरक्षण समिति को जिम्मेदारी सौंपी है।

एनजीओ प्रति ग्राम पंचायत 9000 रुपये 

गैस सिलेंडर के उपयोग के फायदे बताने के लिए एनजीओ सरकार से प्रति ग्राम पंचायत 9000 रुपये ले रही है। गांवों में प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत लगाई जा रही है। जिले में कुल 762 ग्राम पंचायतें हैं। इस हिसाब से 1 हजार 332 गांवों पर सरकार कुल 68 लाख 58 हजार रुपये खर्च कर रही है। एक सितंबर से प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत अब तक आठ गांवों में लोगों को जागरूक कर चुकी है। इनमें चोलापुर, बड़ागांव, बेनीपुर, सिंधौरा, लोहता, राजाजतालाब, सेवापुरी के गांव हैं।  

 खरीदना मुश्किल 943 रुपये का सिलेंडर 
जब उज्ज्वला योजना शुरू हुई थी तब एक सिलेंडर 586 रुपये का था और 165 रुपये सब्सिडी मिलती थी। वर्तमान में इसकी कीमत 943 रुपये है। ऐसे में गरीब परिवारों के लिए सिलेंडर खरीदना मुश्किल है। हालांकि योजना के तहत 1600 रुपये में मिलने वाले गैस कनेक्शन के लिए तत्काल कुछ नहीं देना होता है। पहले छह सिलेंडर लेने पर सब्सिडी सीधा उपभोक्ता के खाते में जाएगी। उसके बाद किश्तों में कनेक्शन के रुपये कटेंगे। 

पूरे प्रदेश में वाराणसी ही ऐसा जिला है जहां हर गांव तक होम डिलीवरी दी जाती है, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते लोग सिलेंडर नहीं भरवा रहे हैं। 

रिपोर्टर

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