बरसात कम होने के कारण किसान संकट में ; धान की फसल ऊत्पन्न होने में ५० प्रतिशत घटने की संभावना।



भिवंडी शहर।। इस वर्ष शुरू में बरसात अच्छी होने से धान की फसल अच्छी होगी किसानों को इस प्रकार की आशा थी।परंतु आखिरी समय में बरसात रूकने सेे जल्द तैयार होने वाले धान की फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना बढते जा रही है। माह अगस्त के अंत में अनाज का दाना भरने ऐन समय बरसात के मुंह मोडने से तालुका के धान उत्पादक किसान संकट में आ गए हैं पूर्व वर्ष की भांति इस वर्ष भी  संकटग्रस्त हो गए हैं।बरसात के अभाव से धान की फसल जगह जगह पर जल गई है। गौरतलब है कि भिवंडी तालुका के पडघा भाग के भोईरपाडा ,कुकसे ,बोरिवली ,सापे ,जांभुलपाडा ,खांडवल ,चिराडपाडा ,आमणे ,उसरोली ,चिंचवली ,खांडपे ,,वडपे ,धामणगांव तथा अंबाडी क्षेत्र के पहारे ,वारेट ,पाच्छापूर ,कांदली दाभाड ,किरवली ,राउतपाडा ,दिघाशी ,कुंदे ,दुगाड ,गणेशपूरी ,झिडके ,असनोली आदि भाग में जल्द तैयार होने वाले धान बरसात के अभाव से बर्बाद हो गए हैं। परंपरागत खेती व्यवसायियों को पूर्व वर्ष का नुकसान भरपाई होगी इस आशा पर धान खेती रोपाई की थी। परंंतु इस वर्ष भी शुरूआत में अच्छी बरसात होने से धान उत्पन्न होगा ऐसी किसानों को आशा थी। परंंतु आखिरी समय मेंं   महीनाभर बरसात न होने से इस वर्ष भी धान खेती बर्बाादहो गई है इस प्रकार की प्रतिक्रिया अंबाडी क्षेत्र के किसान शिवाजी पाटिल व पडघा क्षेत्र के दिलीप भोईर ने व्यक्त की है।धान खेती लगाने के लिए मजदूरी दर में बढ़ोतरी आदि समस्याओं से मात खाकर किसान कर्जबाजारी होकर धान की रोपाा करते हैं।परंतु निसर्ग अवकृपेने बलीराजा संकट में आ गए हैं। इस प्रकार किसानों पर आने वाले  संकट की राज्य शासन ने त्वरीत हस्तक्षेप कर नुकसान होने वाली खेती पं चनामा कर के नुकसानभरपाई मिलने हेतु महसूल विभाग आर्थिक सहायता करे इस प्रकार की मांग शिवाजी राऊत ने किया है

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