फर्जी व स्वयं घोषित पत्रकारों को जोड़कर पत्रकार संगठना के बने है कई अध्यक्ष

नागरिक, सामाजिक पदाधिकारी रहे होशियार

नही हो सकते है ठगी के शिकार ?

भिवंडी।। भिवंडी शहर पॉवर उद्योग का शहर है। यहां पर भारी संख्या में मजदूर पॉवर लूम कारखानों में मजदूरी का काम करते है। 24 घंटे निरंतर चलने वाले पॉवर लूम कारखानों में मजदूर दो शिफ्ट में काम करते है। इनमें कई मजदूर ऐसे होते है जो पढ़ाई लिखाई व उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद बेरोजगारी के नाते पॉवर लूम मशीन चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है, वही दूसरी शिफ्ट में उसी मशीन पर शिक्षा से वंचित, आर्थिक तंगी के शिकार एक अनपढ़ मजदूर भी वही मशीन पर काम करता है। दोनों मजदूरों का केवल एक ही काम है कि लूम के डोटे में कांडी लगाकर मुंह से धागा बाहर निकाल लेना और डोटे को मशीन के पेटी में फीट कर चाप चढ़ाकर मशीन को चालू कर देना। ठीक उसी तरह चौथा स्तंभ के नाम से पहचाना जाने वाला पत्रकारिता में ऐसे मजदूरों ने काम करना शुरू कर दिया है। यहां कोई भी आया राम - गया राम आया है। डायरेक्टर न्युज चैनल का संपादक अथवा पत्रकार बन गया। मोबाइल उठाया, विडियो बनाया‌ और मोबाइल एप्प पर न्युज जैसा तीन मिनट का विडियो बनाया और सोशल नेटवर्किंग, फेसबुक, वाटशाप, ट्यूटर पर अपने फर्जी नाम के यूट्यूब न्युज चैनल पर उस विडियो को पोस्ट कर देना, बस बन गया पत्रकार। यही नहीं पुलिस, प्रशासन व राजनेताओं में अपनी पैठ बनाने के लिए मार्केट से माइक खरीद कर न्युज चैनलों की भांति माइक बूम,अपने फर्जी न्युज चैनलों के नाम का माइक बूम भी बना लेता है। वही माइक बूम धारणकर पत्रकार बनकर सुबह से शाम तक झोला लेकर नुक्कड़, गलियारों की चाय टपरिया पर चाय की चुस्कियां और शाम ढलते ही मधुशाला में नृत्यांगनाओ के नृत्य का आनंद लेते दिखाई पड़ते है। ऐसे पत्रकार नेताओं व पुलिस अधिकारियों सहित मंत्रियों के साथ सेल्फी खींचवाकर अपना जलवा कायम रखते है। इसके आलावा इनमें एक और ख़ूबी होती है ऐसे लोग अपने नाम का प्रेस आई कार्ड बनाकर स्वयं अपने फोटो को ही प्रमाणित कर लेते है। ऐसे लोग चाहे कभी स्कूल गये हो अथवा ना गये हो, किन्तु इन्हें फर्जीवाडा, धोखाधड़ी, वसूलीबाजी आदि विषयों के आलावा वाकपटुता में मास्टर की डिग्री हासिल किये रहते है। हालांकि शहर की समस्याओं से इनका दूर तक नाता नहीं होता, क्योंकि इन्हें वर्णमाला का ज्ञान नहीं होने से खबर लिखने का ज्ञान नहीं होता। सिर्फ वाकपटुता पर अपनी फर्जी दुकान चलाते रहते है।

एक और दूसरी बात, इन लोगों में कुछ होशियार किस्म के लोग भी शामिल रहते है अथवा कुछ प्रतिष्ठित पत्रकार अपनी प्रतिष्ठाता की गरिमा खोने के बाद ऐसे स्वयं घोषित यूट्यूबर पत्रकरों को जोड़कर अपना नया दुकान चालू कर लेते है। ऐसे लोग अब संगठन बनाना शुरू कर दिया है और वही होशियार परमात्मा उसी संगठन का अध्यक्ष बन जाता है। पहले उसे पत्रकर बनकर फर्जीवाडा, धोखाधड़ी, वसूलीबाजी करने में दिक्कत आती थी किन्तु वही पत्रकारों का अध्यक्ष बन गया तो खुलेआम मार्केट में बकरें बने स्वयं घोषित पत्रकारों की मुंडी गिनवा कर वसूली कर लेता है। बकरें बने ऐसे स्वयं घोषित पत्रकारों को दीपावली व ईद पर कुछ छीटें मारकर साल भर परमात्मा के रूप में बने अध्यक्ष अपना उल्लू सीधा करता रहता है। शहर में चुनावी संग्राम शुरू होने वाला है। ऐसे कई पत्रकारों संगठना के अध्यक्ष, नेताओं व उमीदवारों के यहां चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। सब अखबारों में न्युज छपवाकर प्रसिद्धी करवा देना,सोशल मीडिया पर न्युज जैसा विडियो बनाकर वायरल करवा देना आदि बहानेबाजी कर अपने संगठन के सदस्यों के नाम पर जमकर वसूली करने के फिराक में जुगाड़ लगाता रहता है। उम्मीदवार व नेताओं को ऐसे पत्रकार संगठनों के परमात्मा अध्यक्ष व पत्रकार रूपी फर्जी पत्रकारों से होशियार रहने की जरूरत है। नहीं इनके ठगी के शिकार हो सकते है।

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