यूट्यूबर व स्वयं घोषित पत्रकार कर रहे है पत्रकारिता को बदनाम

भिवंडी।। भिवंडी शहर में लगभग तीन दर्जन से ज्यादा यूट्यूबर व स्वयं घोषित पत्रकार सक्रिय है। ऐसे पत्रकार बिन बुलाऐ सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक, प्रशासनिक कार्यक्रमों में मोबाइल फोन से विडियो बनाते और थैली में न्युज चैनलों जैसा माइक बूम लेकर दिखाई पड़ते है। यही नहीं अब ऐसे किस्म के पत्रकार अपने स्वयं सत्यापन व हस्ताक्षर वाला प्रेस आई कार्ड भी गले में पहने दिखाई देते है। इसके आलावा यूट्यूब पर फर्जी नाम का न्युज चलाने वाले अब प्रेस आई डी कार्ड बेचने का धंधा भी शुरू कर दिया है। सुत्रों की माने तो शहर में 2500 से 5000 हजार रूपये तक में प्रेस आईडी कार्ड की बिक्री की जा रही है। मटका की चिट्ठी लिखने वाले राईटर्स, ड्रग्स व गांजा की विक्रेता, ढाबा मालिक, सरकारी राशन दुकानदार, देशी दारू विक्रेता,अवैध ड्राइंग, साइजिंग, मोती कारखाने का मालिक, बिल्डर व भूमाफियां यानि जितने भी अवैध धंधे करने वाले होते है अधिकांश लोग प्रेस आई डी कार्ड होल्डर है। वो अपने वाहनों पर प्रेस लिखवाकर दिन भर नियम, कानून की धज्जियां उड़ाते है। इसके आलावा लोहा पीटने वाला, शौचालय में पानी मारने वाला, कपड़ा स्त्री करने वाला, हमाली करने वाला, सर्विस सेंटर व मोटरसाइकिल रिपेरिंग करने वाला भी आज के युग से कही कही ना पत्रकारिता से जुड़ा हुआ है। कई बार समझ में नहीं आता है कि ऐसे लोगों को क्या कहा व माना जाये। हम उन्हें मौके का फायदा उठाने वाला धोखेबाज कहे या उद्यमी ?

हाल ही में एक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझे एक खबर भेजी। उनके मुताबिक महज तीसरी कक्षा तक पढ़ा हुआ एक कबाडी 2500 रुपए देकर पत्रकार बन गया और एक तथाकथित यूट्यूब न्युज चैनल का प्रेस कार्ड हासिल कर लिया। उसे यह धंधा इतना ज्यादा पसंद आया कि वह फिर खुद प्रेस कार्ड बेचने लगा। उसने अपने इलाके के लोगों को 260 प्रेस कार्ड बेचकर उन्हें पत्रकार बना दिया।
     
शहर में एक धनाढ्य नेता के जन्मदिन के अवसर पर फ्री में पेट्रोल वितरण कार्यक्रम गत दिनों रखा गया था। एक फर्जी व यूट्यूबर पत्रकार को जब इसकी भनक लगी तो वहां पेट्रोल के साथ मलाई की लालच में वह अपने फर्जी न्युज का फर्जी माइक बूम लेकर पहुँच गया और कार्यक्रम के बीच में टांग तिरक्षी कर पत्रकारिता का रौब झाड़ते हुए विडियो बनाना शुरू कर दिया। उसी पार्टी के पदाधिकारी को जब कार्यक्रम में दिक्कत आने लगी तो उसने उस फर्जी व यूट्यूबर पत्रकार की माॅ - बहन निकाला शुरू कर दिया। जमकर गाली खाने के बाद यूट्यूबर व फर्जी पत्रकार उस पदाधिकारी के खिलाफ पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाने पहुँच गया‌। पुलिस थाना में "में बड़ा की तू बड़ा" के बाद कुछ राजनीतिक पदाधिकारियो‌ के बीच बचाव से आखिरकार इस विवाद पर ब्रेक लगा। उस फर्जी यूट्यूबर पत्रकार को ना तो पेट्रोल मिला और ना ही मलाई। इसके एवज में जमकर गालियां मिली। जिसका विडियो शहर के सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हालांकि इस खबर से शहर के प्रतिष्ठित पत्रकार बेखबर थे। ऐसे फर्जी पत्रकारों द्वारा पत्रकारिता का स्तर गिरने के कारण प्रतिष्ठित पत्रकारों को भी फर्जी केस में फसाने के लिए ताने बाने बुने जाते रहे है।

रिपोर्टर

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