दिखे हैं अग्निपथ

------डॉ एम डी सिंह

घरों में बंद दृष्टिहीन धृतराष्ट्रों को 
दिखाने निकले दृश्य नूतन 
संजयों को आज फिर
दिखे हैंअग्निपथ

जल रेह धू धू कर अग्नि रथों को
जलाते तिनकों की तरह उन
नव आग्नेयों को लो फिर 
दिखे हैं अग्निपथ

हस्तिनापुर से कौरव पाण्डवों को 
बुला कुरुक्षेत्र में बजाते शंख 
कृष्णों को सहज फिर
दिखे हैं अग्निपथ 

रच चक्रव्यूह बैठे द्रोणाचार्यो को 
दिखलाने निकले शौर्य कठिन 
अभिमन्युओं को वही फिर 
दिखे हैं अग्निपथ 

छुपे दुर्योधनों के पीछे जयद्रथों को
ढले सूरज को देख निकलते 
अर्जुनों को हठात ही फिर 
दिखे हैं अग्निपथ

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