हई देखा ना --डॉ एम डी सिंह

फिन बदलि के नवा ठेकान हई देखा ना 
फिन फलनवा भइल परधान हई देखा ना 

अस ऊ भयवा गहि के मरलस दावं बांकुड़ी 
फिन ठहि भइलैं सगर उतान हई देखा ना 

सभ अपना ठीहा के रहलैं जबर जुआरी
फिन से कटलस सभकर कान हई देखा ना

लग्गत हउवै की जानेला ऊ जादू मंतर
फिन बिरोधिआ भइल मितान हई देखा ना 

अबले जेकरा मुहे पसरल रहलि अन्हरिया
फिन से उहां उगल बा चान हईं देखा ना 

चलु भाय हमनो खेलल जाव ओल्हा पाती
फिन बुझलस हम्मन के नदान हई देखा ना 

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