
जमीन का मुआवजा नहीं मिलने पर सरकारी व्यवस्था के खिलाफ वृद्ध महिला का भूख हड़ताल
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 16, 2022
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भिवंडी।। भिवंडी तालुका के ग्रामीण परिसरों में सरकार द्वारा अनेक विकास कार्यो के लिए भूमि अधिग्रहण किये गये है। जिसके बदले में किसानों को मुआवजा की रकम दी गई है। किन्तु किसान मुआवजा की रकम में भष्ट्राचार होने की कई मामले सामने आ चुके है। ऐसे ही एक भूमि अधिग्रहण मामले में सरकारी यंत्रणा के खिलाफ एक 85 वर्षीय वृद्ध महिला ने अपनी पोते के साथ स्वतंत्रता दिन से भिवंडी के उप विभागीय दंडाधिकारी कार्यालय के सामने बेमुद्दत भूख हड़ताल पर बैठ गई है। आज दूसरे दिन भी भूख हड़ताल जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भिवंडी -वसई तालुका की सीमा पर पाये गांव के सर्वे नं 10/3 पैकी में 77 गुंठे कृषि जमीन किसान गजानन भूरे की है। इस कृषि भूमि का सातबारा भी उनके नाम पर है। उनके मृत्यु के पश्चात उनकी वयोवृद्ध पत्नी हिरूबाई, पुत्र रमाकांत, गुरूनाथ, रोहिदास के नाम पर उक्त कृषि भूमि का सातबारा है। इस कृषि भूमि को डीडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन प्रकल्प के लिए रेल्वे मंत्रालय ने अधिग्रहण किया है। वृद्ध महिला के साथ भूख हड़ताल पर बैठे तुषार भूरे ने आरोप लगाया है कि 2017 में तत्कालीन उप विभागीय अधिकारी मे कुछ खास जमींदारों को उक्त कृषि भूमि का मुआवजा दिया गया था। जबकि इस कृषि भूमि में कुल वाले किसानों को भी उनके प्रभावित कृषि भूमि का मुआवजा मिलने की उम्मीद थी। किन्तु उन्हें मुआवजा नही दिया गया। अधिकारियों द्वारा किसानों पर जानबूझकर कर अन्याय किया गया। जिसके कारण आजादी के अमृत महोत्सव पर तिरंगा फहरने के बाद अपनी दादी के साथ आज से अनशन पर बैठ गया हूं। दिलचस्प बात यह है कि उक्त जमीन की पुराना सातबारा कॉपी पर कुल वाले किसानों के नाम भी है।कुल के दावे को स्वीकार कर तहसीलदार ने नयें सात बारा काॅपी में किसान परिवारों के नामों का उल्लेख किया था। भूमि सर्वेक्षण के समय किसानों ने इसका विरोध किया और अपनी शिकायत भी दर्ज करवाई थी। किन्तु भूमि अभिलेख कार्यालय ने इन किसानों को नोटिस ना देते हुए आपसी मोजमाप कर लिया और झूठा कहा गया कि उनकी जमीनो पर अधिग्रहण नहीं किया गया है। इस प्रकार का आरोप तुषार भुरे ने लगाया है।
इस मामले में उपविभागीय अधिकारी बालासाहेब वाकचौरे से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि अगर किसानों के साथ अन्याय हुआ है तो वे सक्षम अदालत में जाकर शिकायत दर्ज कराएं। इस मामले को उप विभागीय अधीक्षक कार्यालय व भूमि अभिलेख कार्यालय द्वारा सुनवाई के दरमियान फैसला दिया जा चुका है अगर किसान कहते हैं कि उनके साथ अन्याय हो रहा है तो उन्हें फिर से अपील और शिकायत करनी चाहिए।
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