भिवंडी मनपा मुख्यालय में महर्षि वाल्मीकि की जयंती हर्षोउल्हास से संपन्न

भिवंडी।। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी। इसे ही संस्कृत का पहला महाकाव्य माना जाता है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि को प्रथम कवि भी कहा जाता है। ऐसे कवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती के अवसर पर शासन परिपत्रक व भिवंडी शहर महानगर पालिका के प्रशासक एवं आयुक्त विजय कुमार म्हसाल के आदेशानुसार पालिका के उपायुक्त (मुख्यालय) दीपक पुजारी ने महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। पालिका के नयें प्रशासनिक भवन के भूतल पर इस जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

पुराणों के अनुसार वाल्मिका अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वाम मार्ग का अनुसरण करते थे। एक बार ऋषि सतर्षि (सप्तर्षि) से मुलाकात के दरमियान उन्हें विभिन्न अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई और ऋषि पुलह द्वारा दिए गए मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया।वाल्मीकि द्वारा मंत्र की जाप करते समय उनके चारों ओर चीटियों ने रेत का कब ढेर लगा दिया कि उन्हें पता नहीं चला। कुछ समय बाद जब सप्तर्षि उसी रास्ते से वापस लौटे तो चीटियों के झुंड में  वाल्मीकि को देखा जो एक सिद्धी प्राप्त व्यक्ति बन गऐ थे। सप्तर्षियों ने उन्हें ऋषि वाल्मीकि की उपाधि दी। उत्तरखंड, शेष रामायण में सीता माता ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में शरण लेती है और उनके आश्रम में लव कुश का भी जन्म होता है और वाल्मीकि के पहले शिष्य के रूप में लव और कुश माने जाते है उन्होंने संपूर्ण रामायण गाथा को श्लोक शैली में व्यवस्थित किया है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर प्रभाग अधिकारी बालाराम जाधव, वाहन विभाग प्रमुख शेखर चौधरी,प्रभाग समिति दो के कार्यालयीन अधीक्षक मिलिंद पलसुले व पालिका के अधिकारी तथा कर्मचारी बड़े संख्या में पालिका मुख्यालय में उपस्थित थे। उक्त सभी ने महर्षि वाल्मीकि के प्रतिमा पर पुष्पार्पित कर नमन किया। इस प्रकार की पालिका के जनसंपर्क प्रमुख सुनिल भाऊ झलके ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है। 

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