बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम 80 प्रतिशत से कम नहीं रहें -कलेक्टर

राजगढ़ ।। शासकीय हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों की बोर्ड की परीक्षाओं के परीक्षा परिणाम 80 प्रतिषत से कम नहीं रहें, संबंधित विद्यालयों के प्राचार्य एवं शिक्षक सुनिष्चित करें। इस उद्देष्य से रणनीति बनाएं और बेहतर परिणामों के लिए कडे प्रयास करें। दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम यदि अपेक्षाकृत कम पाएं जाएंगे तो संबंधित प्राचार्य एवं शिक्षक दोशी माने जाएंगे। उनके विरूद्ध अनुशासानत्मक कार्रवाई की जा सकती है अथवा वेतन वृद्धि रोकने जैसी शास्ति से दंडित किया जा सकता है। यह कड़ी चेतावनी आज यहां जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में कलेक्टर श्री हर्ष दीक्षित द्वारा दी गई। कलेक्टर श्री दीक्षित गतवर्ष बोर्ड की परीक्षाओं में 30 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणामों वाले बाटम लाईन के 30 से अधिक के शासकीय हायर स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों के बेहतर परीक्षा परिणामों के लिए किए जा रहे प्रयास एवं शैक्षणिक गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया कि वे बोर्ड की परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन करने विद्यालयों के प्रति सप्ताह निरीक्षण करने के लिए आवश्क आदेश जारी करें। उन्होंने इस उद्देश्य से बी.ई.ओ., बी.आर.सी. के साथ जिला स्तर के अधिकारियों को भी शामिल करने और जीवन कौषल की शिक्षा के लिए 2-2 नोडल शिक्षकों का चिन्हांकन करने एवं प्रशिक्षण दिलाए जाने के निर्देश भी दिए। 

उन्होंने कहा कि बोर्ड की परीक्षाओं में 90 प्रतिशत अथवा उससे अधिक परीक्षा परिणाम प्रदर्शित करने वाले शासकीय विद्यालयों में इन्सेटिव के रूप में सी.एस.आर. मद से पुरस्कार स्वरूप, स्मार्ट क्लास, विद्यालय के लिए फर्नीचर, एल.ई.डी. टी.वी. अथवा अन्य जो अत्यावष्यक कार्य हों, कराएं जाएंगे। 

उन्होंने प्राचार्यो से कहा कि बच्चे केवल पास ही हों नहीं बल्कि उनके व्यक्तित्व एवं बौद्धिक विकास, जीवन कौषल, आधुनिक तकनीकि का जीवन में उपयोग जैसी आधारभूत जानकारी रहें, का उद्देष्य रहें। इस उद्देष्य से विद्यालय के प्राचार्य एवं शिक्षकों को उनके एक-एक छात्र की जानकारी रहें। पढ़ाई में कमजोर एवं पिछड़े छात्रों के बेहतर प्रदर्षन पर विशेष ध्यान रहें।

उन्होंने बच्चों के ‘‘बाल सखा‘‘ जैसे गु्रप बनाने, समूह में अध्ययन करने परस्पर प्रतिस्पर्धा की भावना पढ़ाई और खेल में जागृत करने, तीसरी, चौथी और पांचवी के बच्चों के पृथक-पृथक नाम से समूह बनाकर ज्ञानवर्धन और बौद्धिक स्तर बढ़ाने के लिए गतिविधियां आयोजित कर प्रतिस्पर्धा की भावना जागरूक करने निर्देश भी दिए। 

बैठक के द्वितीय सत्र में जीवन कौषल कार्यक्रम के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन हेतु की जिला प्रभारी श्रीमति वागीशा द्विवेदी ने कहा कि जीवन कौषल कार्यक्रम अंतर्गत ऐसे शिक्षकों को चिन्हांकन किया जाए जो स्वयं पान, बीडी, गुटखा और सिगरेट आदि का उपयोग नहीं करता हो। फीडबेक हेतु उमंग एप मोबाईल में इंस्टाल कराएं, विद्यालयों में जीवन कौषल कार्यक्रम अंतर्गत पृथक कौषल कक्ष ‘‘आदर्श शाला‘‘ बनें, ‘‘तम्बाकू-गुटका‘‘ मुक्त शैक्षणिक संस्थान बने तथा इस हेतु सभी को आसानी दिखाई दे सकने वाली दीवाल पर बोर्ड लगे। विद्यालय की 100 मीटर की परिधि में तम्बाकु, पान, बीड़ी, सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद आदि विक्रय करने वाली दुकाने नही रहे। 

उन्होंने बैठक में मौजूद समस्त प्राचार्यो, बी.ई.ओ. एवं बी.आर.सी. से कहा कि विद्यालय के छात्र जीवन कौषल से संबंधित ऐसे प्रश्न जो सबके सामने नहीं पूछ सकें, के लिए विद्यालयों में ड्राप बाक्स लगें तथा प्रत्येक सप्ताह छात्र का नाम सार्वजनिक किए बिना उनके प्रश्नों के उत्तर दिए जाएं। 

इसके साथ ही उन्होंने नवीं, दसवीं, ग्यारवीं एवं बारवीं के छात्रों को जीवन कौषल शिक्षा से संबंधित प्रष्नों एवं शंकाओं के समाधान के लिए दूरभाष नम्बर 14425 पर फोन करके जानने के लिए प्रेरित करने तथा उक्त नंबर अपनी-अपनी शैक्षणिक संस्थान के दीवाल लिखवाने का भी आग्रह किया। 

द्वितीय सत्र के प्रारंभ में श्री अमित दुबे ने जीवन कौषल कार्यक्रम के उद्देष्य बताए। उन्होंने बताया कि छात्रा के सर्वागीण विकास के लिए उनके मानसिक विचार और सोच में परिवर्तन लाना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है ताकि बच्चे हमेशा सकारात्क सोचें और चुनौति अथवा समस्याओं से भागे नहीं, उससे डरे नहीं बल्कि उससे लड़े और सफल हों। 

इस अवसर पर जिला परियोजना समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान, बी.ई.ओ., बी.आर.सी. सहित  जिले के समस्त 272 शासकीय हाई स्कूल तथा हायर सेकेण्डरी विद्यालयों के प्राचार्य मौजूद रहे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट