
भिवंडी के उपजिला अस्पताल में सरकारी एंबुलेंस की कमी निजी एंबुलेंस वाले मरीजों के परिजनों से कर रहे है आर्थिक लूट
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- May 11, 2023
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भिवंडी।। भिवंडी के स्वं. इंदिरा गांधी स्मृति उपजिला अस्पताल में एंबुलेंस के अभाव में मरीजों की मौत के कई मामले सामने आ रहे है। लेकिन सरकार के साथ-साथ अस्पताल प्रशासन ने उपजिला अस्पताल में सुविधाओं की पूरी तरह से अनदेखी की है। इस अस्पताल में तीन एंबुलेंस है। दो एंबुलेंस खराब हैं और एक एंबुलेंस मरीजों की सेवा के लिए सुबह से चक्कर लगाने के कारण बाकी मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिलती है। निजी एंबुलेंस द्वारा मरीजों के परिजनों से आर्थिक लूट करने का मामला प्रकाश में आया है। यही नहीं एंबुलेंस नही मिलने के कारण एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो चुकी है। उपजिला अस्पताल के लचर प्रबंधन के साथ ही निजी एंबुलेंस चालकों की मनमानी सामने आयी है। पिसे गांव के कातकरी वाडी की ग्यारह महीने की बच्ची सुवर्णा मंगल कातकरी को 3 मई को 11:15 बजे इंदिरा गांधी उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाल चिकित्सकों ने बच्ची का उपचार किया। किन्तु स्थिति में सुधार नही होने के कारण बाल चिकित्सकों ने मरीजों के रिश्तेदारों को कलवा अस्पताल जाने की सलाह दी थी। किन्तु बच्ची को इलाज के लिए कलवा ले जाने के लिए सात से आठ घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिली। लगभग आठ घंटे बाद बच्ची के परिजनों को सरकारी एंबुलेंस मिली। परन्तु देर हो जाने के बच्ची के उपचार के दरमियान मौत हो गई। मृतक बच्ची के परिजनों का आरोप है कि अगर एंबुलेंस समय पर मिल जाती तो हमारी बेटी की जान बच जाती, लेकिन इंदिरा गांधी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए हमारी बेटी की मौत हो गई । लड़की का इलाज पहले एक निजी डॉक्टर से कराया गया था। डॉक्टर ने लड़की को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी थी लेकिन लड़की के परिजनों ने लड़की को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया। 3 मई को उसकी हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल में भरती कराया गया। जहां पर बाल चिकित्सकों द्वारा उपचार किया गया। लेकिन लड़की की हालत गंभीर होने पर उसे आगे के इलाज के लिए कलवा अस्पताल जाने की सलाह दी। हालांकि उपजिला अस्पताल में तीन में से दो एम्बुलेंस खराब है और तीसरी एम्बुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो सकी। इस प्रकार की प्रतिक्रिया उपजिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिक्षक डाॅ. राजेश मोरे ने दी है।
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