विकलांग व्यक्ति शौचालय से वंचित, दो वर्षों से पंचायत समिति कार्यालय का लगा रहा है चक्कर

भिवंडी।। स्वच्छ भारत मिशन अंर्तगत प्रधानमंत्री योजना निधि से देश में करोड़ों शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। वही पर भाजपा द्वारा घर घर शौचालय प्रकल्प का प्रचार व प्रसार बडे़ जोर शोर से किया गया। किन्तु भिवंडी तालुका के एक छोटे से गांव में रहने वाले विकलांग परिवार को निजी शौचालय निर्माण निधि के लिए लगभग दो वर्षों से पंचायत समिति कार्यालय का चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।  सुपेगांव के रहने वाले विकलांग धनंजय रामदास पाटिल अपनी विकलांग पत्नी और पांच साल के बेटे के साथ रहते है। उन्होंने 2021 से निजी शौचालय निर्माण के लिए ग्राम पंचायत व पंचायत समिति कार्यालय में आवेदन कर रहे है लेकिन इस परिवार को आज तक निजी शौचालय निर्माण की स्वीकृति नहीं दी गयी। दुर्भाग्य की बात यह है कि जो विकलांगों के लिए पांच प्रतिशत राशि अनुदान दी जाती है वह भी आज तक नहीं मिल है। धनंजय पाटिल बैसाखी के सहारे इस कार्यालय से उस कार्यालय तक भटकने के लिए मजबूर है। सोमवार सप्ताह का पहला दिन था धनंजय पाटिल पंचायत समिति कार्यालय आए थे लेकिन गट विकास अधिकारी सहित कई  अधिकारी छुट्टी पर होने के कारण मुलाकात नहीं हो सकी। जिसके कारण एक बार उसके हाथ में निराश लगी है। धनंजय पाटिल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वभौमिक शौचालय की घोषणा केवल कागजों पर विज्ञापनों के लिए है बारिश के मौसम में घास-झाड़ियां उगने के बाद भी हम खुले शौचालय में क्यों जाएं?  जब उनसे पूछा गया कि व्यक्तिगत शौचालय अनुदान कब स्वीकृत होगा, तो धनंजय पाटिल की आंखों से आंसू छलक पड़े।

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धनंजय पाटिल का प्रकरण समझ में आया है। फरवरी माह में पुनः एक बार व्यक्तिगत नामों की सूची जिला प्रशासन कार्यालय में भेज दिया गया है। वही पिछले वर्ष की विकलांग निधि की मंजुरी प्राप्त हुई है। 
चेतन कड़व 
सुपेगाव ग्राम पंचायत ग्राम सेवक

रिपोर्टर

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