रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर पदमशाली समाज द्वारा रथ यात्रा का आयोजन

भिवंडी।। बुनकर समुदाय के रूप में जाने जाने वाले पदमशाली समुदाय की ओर से पारंपरिक हथकरघा पर कपड़े बुनकर और उन्हें भगवान को अर्पित करके रक्षाबंधन त्योहार एक अनोखे तरीके से मनाया गया।पदमशाली समुदाय के आराध्य देव मार्कंडेय महामुनि ने भगवान ब्रह्मा के लिए कपड़े बुने थे। इस प्रकार की मान्यता है। पदमशाली समाज, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के रहने वाले बुनकर समुदाय श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबंधन त्योहार के दिन धागे की पूजा करके अपने शरीर पर कपड़े बदलते है।हथकरघा उद्योग की नगरी कहे जाने वाले भिवंडी शहर में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य से बड़ी संख्या में पदमशाली समाज के लोग स्थायी रूप से निवास करते है और उनकी ओर से भिवंडी शहर में रक्षा बंधन के दिन एक भव्य रथ यात्रा जुलूस निकाला गया। शहर में अखिल पद्मशाली समाज संस्था द्वारा पिछले 76 वर्षों से इस रथ यात्रा का आयोजन कर रहे है। यह रथ यात्रा पद्मानगर के बालाजी मंदिर से शुरू होकर धामणकर नाका मंडई से होते हुए कासार अली के मार्कंडेश्वर मंदिर तक आयोजित की जाती रही है। इस प्रकार की जानकारी संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष राजू गाजेंगी ने दी है। इसके साथ ही कामताघर भाग्यनगर के श्री शिव भक्त मार्कंडेय मंदिर, श्री मार्कंडेय महामुनि पुस्तकालय समिति, श्री मार्कंडेय महामुनि पालखी समारोह, पद्मनगर बालाजी व्यायाम विद्यालय, हथकरघा रथयात्रा, संगमपाड़ा कोंबडपाडा मार्कडेय मंदिर तक रथयात्रा पहुंचने के बाद हाथ से बनाए गए कपड़े को भगवान को अर्पित किया गया और फिर उसकी नीलामी की जाती है। पदमशाली समाज के लोग इस कपड़े की लाखों की बोली लगाते हैं। इस रथ यात्रा समारोह में हजारों समाज की संख्या में पदमशाली समाज के लोग सहभागी हुए थे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट