सर्वेक्षण में टैक्स से वंचित मिली संपत्तियों में केवल 25 प्रतिशत संपत्तियों पर लगा टैक्स

पहले शास्ती फिर सामन्य दर से कैसे लगा टैक्स

करोड़ों रूपये के हुए भष्ट्राचार की जांच करने की मांग

भिवंडी।। भिवंडी निजामपुर शहर महानगर पालिका के एकमेव राजस्व उत्पन्न का स्रोत हाउस टैक्स लगाने में जहां करोड़ों रूपये का भष्ट्राचार हो रहा है। वही अधिकारी हाउस टैक्स लगाने के नाम पर कर दाताओ से मोटी रिश्वत की मांग करते है। जिस संपत्ति से टैक्स लगाने के एवज में रिश्वत नहीं मिलती है उन संपत्तियों पर शास्ती दर प्रमाणे टैक्स लगा दिया जाता है। यही नहीं तीन पट्ट टैक्स लगा देने की धमकी देकर जबरन रिश्वत वसूला जाता है। इसके बावजूद संपत्ति मालिकों द्वारा रिश्वत नहीं देने पर उन्हें शास्ती दर प्रमाणे टैक्स लगाकर नोटिस जारी कर दी जाती है फिर उसी संपत्ति पर सामान्य दर से टैक्स लगाने के लिए मोटी रिश्वत ली जाती है। इस विभाग में फैले व्यापक भष्ट्राचार के कारण तत्कालीन आयुक्त सुधाकर देशमुख के आदेशानुसार वर्ष 2021 में हुए संपत्ति सर्वेक्षण के दौरान टैक्स से वंचित संपत्तियों में केवल 25 प्रतिशत संपत्तियों पर टैक्स लगाया गया.बाकी 75 प्रतिशत संपत्ति आज भी टैक्स से वंचित है। 

24 सितंबर 2021 को पालिका के कर मूल्यांकन विभाग द्वारा जारी आंकड़ेनुसार सर्वेक्षण के दौरान पांचों प्रभाग समितियों में 2042 नई संपत्तियां, 2912 संपत्तियों के बांधकाम में बढ़ा कर किया गया बांधकाम,542 संपत्तियों के इस्तेमाल में फेरबदल कुल 5478 संपत्तियां और 7162 फ्लैट टैक्स से वंचित पाये गये। प्रभाग स्तर पर इन टैक्स से वंचित संपत्तियों का रिपोर्ट बनाकर कर मूल्यांकन में भेजा गया था। किन्तु लगभग तीन साल बीत जाने के बाद केवल 25 प्रतिशत संपत्तियों पर टैक्स लागू किया गया और 75 प्रतिशत संपत्तियां आज भी टैक्स से जानबूझकर अधिकारियों द्वारा वंचित रखा गया। 

सुत्रों की माने वंचित संपत्तियों में डाइंग, साइजिग, बहु मंजिली इमारतों का समावेश है। कर मूल्यांकन विभाग के तत्कालीन विभाग प्रमुख वंदना गुलवी ने तत्कालीन आयुक्त के आदेशानुसार डाइंग साइजिग कंपनियों की संपत्तियों का मोजमाप कर नये सिरे से टैक्स लगाने के लिए आदेश जारी किया था। तदुपरांत वंदना गुलवी ने आदेशानुसार प्रत्येक कंपनियों का मोजमाप किया गया और टैक्स से ज्यादा इस्तेमाल हो रही संपत्तियों पर नये सिरे से टैक्स आर्डर जारी कंप्यूटर में फिट कर दिया गया। किन्तु कुछ दिनों बाद उन्ही संपत्तियों को पुनः सामन्य दर से टैक्स लगाकर पिछले टैक्स आर्डर को रद्द कर दिया गया। इस कार्य में भारी भष्ट्राचार हुआ। कई जागरूक नागरिकों ने इसकी जांच करने की मांग की थी। किन्तु आज भी इस प्रकरण की जांच प्रलांबित है। स्थानीय जागरूक नागरिकों ने शहर में कैंप लगाकर नये तरीके से संपत्तियों का सर्वेक्षण कर उसी जगह पर हाउस टैक्स लगाने की मांग पिछले कई वर्षों से करते आ रहे है। इसके बावजूद भी ना उनकी मांग पूरी हुई और ना ही विभाग में फैले भष्ट्राचार में कमी आयी। वही पर वर्तमान आयुक्त अजय वैद्य ने एक नया फरमान जारी किया है कि संपत्तियों का दिगरबाद, हस्तांतरण जैसे भी कार्य अब कर मूल्यांकन व कर निर्धारण विभाग प्रमुख की मंजूरी से किया जायेगा। किन्तु इस विभाग में केवल तीन कर्मचारियों के सहारे प्रभाग समितियों के संपत्ति संबंधी सभी कार्य कैसे कर पाना संभव है।

रिपोर्टर

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