भिवंडी महानगर पालिका की अग्निशमन प्रणाली ध्वस्त

कई वाहन खराब, अग्निशमन प्रणाली जनशक्ति पर निर्भर

भिवंडी।। भिवंडी शहर व ग्रामीण इलाकों में वेयर हाउस, गोदामें होने के कारण आऐ दिन आग लगने की घटनाएं घटित होती है। इसके आलावा यहां के पॉवर लूम उद्योग व मोती कारखाने भी सुरक्षित नहीं है। साइजिग व डांइग कंपनियों में कपड़ा रंगाई का काम किया जाता है। इन कंपनियों में हमेशा आग लगने की घटनाएं होती रहती है। जबकि शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में कई गोदामें हैं। स्क्रैप और अन्य सामग्री के गोदामों के साथ-साथ रासायनिक गोदामों में भी आग लगने की घटनाएं होती रहती है।हालांकि ऐसी आग पर काबू पाने के लिए भिवंडी पालिका की अग्निशमन व्यवस्था फिलहाल चरमरा गई है। कई दमकल गाड़ियां खराब है। हालत यह है कि पूरा शहर और ग्रामीण क्षेत्र मात्र चार से पांच दमकल गाडियों पर निर्भर है। इसके अलावा पर्याप्त दमकल कर्मी नहीं होने से फायर ब्रिगेड को आग बुझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर के नागरिक बस्तियों व इमारतों के तल मंजिल पर पॉवर लूम कारखाने है और ऊपरी मंजिल पर लोग रहते है। अगर ऐसी जगह पर आग लगती है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। 

गौरतलब हो कि शहर के शांतिनगर, नवींबस्ती, पद्मानगर, नारायण कंपाउंड, भंडारी कंपाउंड, नारपोली,नागांव, करिवली, कटाई, शेलार, नालापार, 72 गाला, वंजारपट्टी नाका जैसे कई स्थानों पर बड़ी संख्या में पॉवर लूमा कारखाने के आलावा 150 मोती कारखाने, 43 डाइंग, 94 साइजिग कंपनियां, 50 ब्रेकरी के आलावा पॉवर लूम कारखाने संचालित है। शहर से सटे सीमा अंर्तगत ग्राम पंचायतें शेलार, मीठपाड़ा, खोणी, कटाई, कांबा में बड़ी संख्या में कपड़ा रगाई करने वाले डाइंग साइजिंग कारखाने भी है। शहर के दूसरे छोर के पूर्णा, काल्हेर, दापोडे, मानकोली, वल, रहनाल आदि गांवों के वेयर हाउस, गोदामों में बड़ी संख्या में छिपाकर अति ज्वलनशील केमिकल्स का भंडारण किया जाता है। शहर की आबादी लगभग 15 लाख है। रहिवासी बस्तियों में संचालित स्क्रैप गोदामों, डाइंग साइजिग, मोती कंपनियों में आऐ दिन आग लगने की घटनाएं होती रहती है।‌ इस वर्ष भी तक लगभग 200 से अधिक आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। भिवंडी पालिका के अग्निशमन के बेडे में 5 दमकल गाडियां, 1 रेस्क्यू वैन, 2 छोटी दमकल गाड़ी और तीन तीन फायर बुलेट बाइक सहित कुल 11 गाड़ियां है। जिसमें से 2 दमकल गाडियां बंद है। इस विभाग में 72 कर्मचारी है।जिसमें अधिकारी, कर्मचारी, ड्राइवर, क्लर्क और सिपाही सभी शामिल है। 2007 से पालिका में कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने से लगातार कर्मचारियों की संख्या घट रही है। कर्मचारियों की कमी से आग लगने की स्थित में फायर ब्रिगेड पर काम का बहुत दबाव होता है। कभी कभी बड़ी आग लगने से ठाणे, कल्याण, उल्हासनगर महानगर पालिका से मदद मांगी जाती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भिवंडी पालिका परिक्षेत्र व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में आग लगने की घटना होने पर अपनी अग्निशमन प्रणाली की क्षमता बनाने में सक्षम है।

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अपर्याप्त कर्मचारियों के साथ अपर्याप्त वाहनों से भिवंडी पालिका की फायर ब्रिगेड पर भारी दबाव है। फायर ब्रिगेड वाहनों की मरम्मत के लिए वाहन विभाग में भेजने पर छह -छय महीने तक मरम्मत नहीं किये जाते है। भिवंडी के लिए लगभग 200 कर्मचारियों की आवश्यकता है किन्तु सिर्फ 72 कर्मचारी कार्यरत हैं। जिसके कारण आग बुझाने में दिक्कते आती है।   

अग्निशमन अधिकारी राजेश पवार

रिपोर्टर

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