कर्मचारी आत्महत्या प्रकरण में अस्पताल नही है दोषी, डॉक्टर पॉल ने दिया स्पष्टीकरण

अस्पताल को बदनाम करने के लिए एक गैंग कर रही है काम जल्द होगा खुलासा


उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्यरत एक वाचमैन द्वारा 27 मई को आत्महत्या कर ली गई थी जिसके बाद अस्पताल प्रशासन पर यह आरोप लगा था कि कर्मचारी को वेतन न देने के कारण उसने आत्महत्या कर ली थी जब कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉक्टर पॉल ने जो जानकारी साझा की उसके अनुसार अस्पताल प्रशासन द्वारा उसे केवल अप्रैल माह का 16 दिन का वेतन देंना बकाया था।

मनपा का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चालू होकर दो माह हुए हैं जनवरी माह से मृतक राजू धतावकर ने अस्पताल जब बन रहा था तब मंदिर में स्थित गणपति के मंदिर में पूजा पाठ के लिए उसकी नियुक्ति की गई थी और तब से लगातार उसे पेमेंट दी जा रही थी। राजू के ऊपर कर्ज था और कर्जदारों को जब यह पता चला कि वह इस अस्पताल में कार्यरत है तो उसे अस्पताल में आकर बेज्जती करने की बात कही थी इस वजह से वह परेशान था और उसने आत्महत्या की।

डॉ. संजीत पॉल ने बताया कि फरवरी महीने से राजू काम पर था और केवल उसकी अप्रैल महीने की सैलरी बकाया थी क्योंकि वह काम पर नही आ रहा था इससे ऐसा लगा कि कहीं उसने काम छोड़ तो नही दिया है इसलिए उसका वेतन उसके खाते में नही गया और उसका हमने चेक बनाया था। किसी निजी संस्था के द्वारा कर्ज न फेरे जाने के कारण उसने आत्महत्या की है ऐसा पता चला है। 12 फरवरी को यह अस्पताल चालू हुआ है और 16 अप्रैल से ज्यादातर स्टाफ ने यहां पर जॉइनिंग की है तो उनका छह महीने का सेलरी कैसे बकाया हो सकता है ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया।

तीन लाख रुपए का चेक सहायता के तौर पर दिया गया

डॉ. पॉल ने बताया कि मृतक राजू की पत्नी को उल्हासनगर के कुछ वरिष्ठ लोगों की सलाह पर तीन लाख रुपए का चेक सहायता के तौर पर दिया गया यह पूंछे जाने पर कि इस तरह से सहायता देना उन पर आरोप भी साबित कर सकता है उन्होंने कहा कि एक पीड़ित की वजह से अस्पताल में अन्य लोग पीड़ित न हो इस वजह से उसे यह सहायता दी गई है क्योंकि उस समय कुछ लोग माहौल को बिगाड़ने के लिए अस्पताल परिसर में आने वाले थे जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों, कार्यरत डॉक्टरों व स्टाफ को भी परेशानी हो सकती थी।

डॉ. पॉल ने बताया कि अस्पताल द्वारा फ्री में सभी उपचार दिए जा रहे हैं यह बात शहर के कुछ लोगों को हजम नही हो रही है और वह गरीबों के मुफ्त इलाज के पक्षधर नही हैं। इसके पीछे एक गैंग काम कर रही है जिसका जल्द खुलासा होगा। हमारे कर्मचारियों को भी उस गैंग के द्वारा परेशान किया जा रहा है। सभी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं और जल्द ही खुलासा होगा।

यह पूंछे जाने पर की क्या उनकी भाड़े को लेकर मनपा से कुछ सांठगांठ है इस पर डॉ. पॉल ने यह स्पष्ट किया कि मनपा को 3 रुपए वर्ग फुट के हिसाब से लगभग 70 हजार रुपए मनपा को दिए जाते हैं साथ ही मरीजों के इलाज से आए पैसे का एक प्रतिशत व मेडिसिन के प्रॉफिट का दस प्रतिशत मनपा को दिया जाता है अतः मनपा केवल 70 हजार में इस अस्पताल को चलाने को नही दिया है बल्कि हम उसके लिए और भी राशि दे रहे हैं।इस अस्पताल को मेरे पैसे से बनाया गया है जिसके लिए मनपा ने तीन करोड़ 80 लाख रुपए की सहायता बनाने के लिए देने का वादा किया गया था लेकिन अब तक केवल एक करोड़ चालीस लाख रुपए दिए गए हैं।

रिपोर्टर

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