मुख्यमंत्री ने कहा था कि फ्री इलाज होगा, मनपा के अस्पताल में मची है लूट

परिजनों का हंगामा, मरीजों को बनाया बंधक, काफी प्रयास के बाद छोड़ा


विधायक कुमार आयलानी मदद करने में दिखे बेबस ने खड़ा किया हाथ

संजय गुप्ता के प्रयास पर अस्पताल ने मरीज को छोड़ा

उल्हासनगर : कुछ माह पूर्व ही उल्हासनगर में मनपा का एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोला गया जिसका उदघाटन महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री एकनाथ शिंदे द्वारा किया गया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि गरीबों का इलाज मुफ्त होगा कोई कैश काउंटर नही होगा। लेकिन अस्पताल के मरीजों को धोखे से भर्ती करने के बाद बड़ा बिल थमाया जा रहा है जिसे लेकर आज तीन मरीजों के परिजनों द्वारा अस्पताल में हंगामा किया गया। विधायक कुमार आयलानी तत्काल मदद करने में बेबस साबित हुए। हर दिन इस अस्पताल में तमाम मरीजों को ऐसी परेशानी से जूझना पड़ रहा है।

बुधवार शाम को काफी देर से मरीज को घर ले जाने का इंतजार कर रही मरीज बागी कुरा 65 की बेटी विमला कोर जिसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है मुख्यमन्त्री के आश्वासन पर अपनी मां को भर्ती किया लेकिन आठ दिन भर्ती करने के बाद मरीज के हाथ मे 50 हजार का बिल दे दिया। इस पर विमला ने कहा कि यह मुफ्त अस्पताल है तो पैसा क्यों इस पर मरीज को रोक कर रखा और शाम को दबाव के बाद उसे छोड़ा गया। 

अस्पताल द्वारा मरीजों को पहले यह नही बताया जाता कि उनके राशन कार्ड , आधार कार्ड में कोई समस्या है डिस्चार्ज के समय सीधे उनके हाथ मे बिल पकड़ा दिया जाता है। विमला कोर को बुधवार शाम को जब अस्पताल द्वारा डिस्चार्ज किया गया तो उसे डिस्चार्ज कार्ड व दवाएं भी अस्पताल में खीज की वजह से नही दी गई। वहीं दूसरे मरीज दुरु बाई फुलवानी जो पिछले 25 दिनों से सांस की तकलीफ से भर्ती हैं उनका इतना दिन बीत जाने के बाद भी सोनोग्राफी नही हुई बावजूद इसके 65 हजार का बिल उनके परिजनों को दिया गया है और उनकी सही दवा भी नही की जा रही है उनकी भी आर्थिक परिस्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें यहां पर भर्ती किया गया है।

सुभाष नगर निवासी ममताबाई रखमा देहाड़े की बेटी बिजली प्रकाश गौड़े ने बताया कि उन्हें एडमिशन के समय यह नही बताया गया कि उनकी माँ नाशिक में रहती हैं और उनका राशन कार्ड नाशिक का है, इस वजह से उन्हें रोक कर रखा है और 22 हजार का बिल भरने को कहा जा रहा है। बिनी का कहना है कि यदि यही बात उन्हें भर्ती करने के समय बताई गई होती तो वह कहीं दूसरी जगह अपनी मां को भर्ती करतीं। वहीं खाने का बिल उनसे अलग से मांगा जा रहा है।

कुछ दिन पहले भी एक अस्पताल के कर्मचारी की मौत पर यह अस्पताल सुर्खियों में आया था उस समय अस्पताल के डॉक्टर ने दावा किया था कि अस्पताल में एक दिन के भीतर सोनोग्राफी होती है और मरीजों का अच्छा ट्रीटमेंट होता है लेकिन महज कुछ ही दिनों के भीतर डॉक्टर संजीत पॉल का दावा खोखला साबित हुआ वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व सांसद शिंदे का भी दावा गलत साबित हो रहा है।

इसी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल का प्रचार कर पूरे महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री द्वारा अपनी पीठ थपथपाई गई थी और इसी का उदाहरण देकर चुनाव के दरम्यान सीटें जीतने का प्रयास किया गया था। अस्पताल में एक सही नियम बनाने की जरूरत है। मरीजों को शुरू में एप्रूवल अगर मिलता है तो वह परेशान नही होंगे

141 विधानसभा के विधायक कुमार आयलानी से उत्तर भारतीय मोर्चा के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने अस्पताल में मरीजों की समस्या के बारे में बताया लेकिन वह इसमें अक्षम साबित हुए और उन्होंने दूसरे दिन अस्पताल के डॉक्टर से बातचीत करने का आश्वासन दिया जबकि मरीजों के परिजन अस्पताल में भटक रहे थे। वहीं जब दूसरी बार यह कहा गया कि समस्या अभी है तो निदान कल कैसे होगा इस पर विधायक कुमार आयलानी खीज गए और भड़क कर बोले कि आज मरीजों के परिजनों का कोई हल निकाला जाना संभव नही है। काफी मशक्कत के बाद संजय गुप्ता के घंटों के प्रयास के बाद एक मरीज कुरा को अस्पताल ने बिना पैसे के डिस्चार्ज किया लेकिन फिर भी उसे दवा लिखकर नही दी जिसके लिए फिर से प्रयास करने के बाद उन्हें दवा दी गई

अस्पताल प्रशासन की तरफ से कहा गया कि ऑनलाइन सभी के फॉर्म सबमिट करने के बाद एप्रूवल नही आया इस वजह से बिल दिया गया।

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