रामगढ़ विधानसभा में उप चुनाव को ले हलचले बढ़ी
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jun 16, 2024
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती(कैमूर)--रामगढ़ विधानसभा में उप चुनाव को लेकर इन दिनों हलचले बढ़ने लगी है। बता दे की लोकसभा के चुनाव में सुधाकर सिंह के चुनाव जीतने के बाद विधायक की यह सीट खाली पड़ी है जिस पर मतदान होना तय है।इसी बिच राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत सिंह के जदयू छोड़ कर राजद में शामिल होने के कारण फिर एक बार राजनीतिक तापमान रामगढ़ विधानसभा में बढ़ गया। वैसे तो रामगढ़ विधानसभा का चुनाव सुधाकर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी अशोक सिंह और बसपा के उम्मीदवार अंबिका यादव को हराकर हासिल किया था। रामगढ़ की जनता अभी तक यह आकलन कर रही थी की यह चुनाव एक बार फिर राजद से जो उम्मीदवार आएगा उसके साथ अशोक सिंह और अंबिका यादव के बीच ही लड़ा जाएगा लेकिन इस चुनाव में राजद के वरिष्ठ कार्य कर्ता आनंद सिंह जो सन 1999 से लेकर आज तक राजद की सेवा की है के नाम की चर्चा ने राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ ला दिया है। दूरभाष पर आनंद सिंह से बात किए जाने पर उन्होंने बताया कि मैं पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए राजद के अध्यक्ष जगदानंद को जानकारी देदी है और उन्होंने राजनीतिक सर्वे कराने की बात कही है लेकिन अगर टिकट मुझे नहीं मिलता है तो मैं चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटूंगा। जनता के बीच में यह भी चर्चा है कि अंबिका यादव के विरासत के रूप में उनके कमान को संभाल रहे पिंटू यादव चुनाव लड़ेंगे यदि सचमुच रामगढ़ के विधानसभा में यह परिवेश बनता है तो युवाओं के बीच का मुकाबला बढ़ा ही घमासान और दिलचस्प होगा। यदि सचमुच देखा जाए तो एक तरफ जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत सिंह भी जनता की सेवा को लेकर प्रत्येक दिन जिला से लेकर प्रखंड कार्यालय तक का दौड़ लगाते रहे हैं तो सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव भी अपना पूरा समय जनता के बीच में देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है और लगातार 24 वर्षों से युवा नेता के तौर पर आनंद सिंह भी अपना बहुमूल्य समय जनता के बीच में ही गुजार रहे हैं। पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह विधायक होने से पहले और आज तक जनता की सेवा विधायक के रूप में थे तब से और हराने के बाद भी आज तक करते ही रहे है। वैसे जगदानंद सिंह के परिवार में अजीत सिंह तलक तेवर से अलग हटकर एक सामान्य नेता के रूप में जनता से जुड़े रहे अब देखना यह है कि रणभेरी बजने के बाद जनता क्या निर्णय देती है।
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