स्वच्छता अभियान की निकल गई हवा


दुर्गावती संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 


कैमूर- सरकार के द्वारा जोर-शोर से स्वच्छता अभियान को लेकर जिलाधिकारी के मध्यस्थता में हर जिले के पंचायत और गावो में स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया गया लेकिन उस स्वच्छता अभियान का धरातल पर आज कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार के द्वारा प्रचार प्रसार कर हर गांव के लिए सफाई कर्मी बहाल किए गए तथा स्वच्छता अभियान के लिए उन्हें रिक्शा ठेला कहीं-कहीं पिकप झाड़ू बेलचा और हर घर सुखा और गीला कचरा के लिए बाल्टी दिया गया। जिसमें सरकार का करोड़ों रुपए लगाकर चालू की गई योजना आज पूर्ण रूप से धरातल पर बंद दिखाई दे रही हैं। गांव की गलियों से लेकर निकलने वाले मार्ग मुख्य सड़क जहां देखो इस बरसात में फैले हुए कचरा दुर्गंध दे रहा है रहे। लगता है हरियाली योजना की तरह यह भी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई क्योंकि हरियाली योजना के तहत बहुत से पेड़ लगाए गए उसके रखरखाव के लिए मजदूर नियुक्त किए गए करोड़ों रुपए खर्च कर सिंचाई के लिए हैंड पंप लगे लेकिन आज जिस अनुपात में हरियाली योजना पर सरकार ने पैसा पानी की तरह बहाया उसका असर उस अनुपात में धरातल पर नहीं दिख रहा है वही हाल आज स्वच्छता अभियान की हुई है। स्वच्छता अभियान के तहत सरकार के द्वारा हर घर शौचालय योजना चलाया गया था लेकिन पैसे निकासी कर लेने के बाद भी आज गांव के मुख्य मार्ग पर गंदगी का अंबार उसी तरह से दिखाई दे रहा है और उसके पहरेदार अब दिखाई नहीं दे रहै है। सरकार की योजना सफलतापूर्वक कितना धरातल पर काम कर रही है और कौन लोग उसका पालन कर रहे हैं और कौन लोग नहीं इसकी खोज खबर लेने वाला अब कोई नहीं रहा जिसका परिणाम रहा की योजनाएं अक्सर सरकार के द्वारा चलाई जाती है और फेल हो जाती हैं। भारतीय लोकतंत्र में वोट प्राप्त करना राजनीतिक व्यक्तियों की मजबूरी है जिसके कारण योजना है तो चलती है लेकिन निगरानी नहीं हो पाती क्योंकि जिस दिन सरकार कड़ा रुख अख्तियार करेगी उसे पता है चुनाव हार जाएगी। जो भी मजबूरी हो लेकिन ठोस कदम नहीं उठाने से न सरकार का भला होता है न जनता का और जनता और  नेता एक एक चट्टे पट्टे बनकर रह जाते हैं और और राजस्व का पूरा माल भ्रष्टाचार का भेद चढ़ जाता है।

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