
मुख्य सड़कें हुई जानलेवा,गल्ली मुहल्लों की सड़कें नदारद
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jul 16, 2024
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भिवंडी। शहर की मुख्य सड़कों पर चलना जानलेवा साबित हो रहा है। इन चार दिनों की बरसात में गल्ली - मोहल्ले की सड़कें नदारद हो गई। ऐसा प्रतीत होता है की कभी इन सड़कों पर डामरीकरण नहीं हुआ। बीच सड़क पर गड्डा होने से ऑटो रिक्शा में बैठे पैसेंजर को उतर कर ऑटो रिक्शा को धक्का मारते हुए लोगों ने देखा है। वंजारपट्टी नाका से अंजूर फाटा तक दररोज यातायात जाम की समस्या बन रही है। इसी जाम में छोटे -छोटे स्कूली बच्चें घंटों तक फंसे रहते है। गाडियों से निकलता जहरीला धुआ इनके स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा हैं आखिरकार सभी बच्चे भिवंडी करों के है। इसके बावजूद शहर वासी इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते। पालिका प्रशासन या यातायात विभाग से इसकी शिकायत तक नहीं करते। इन शहर वासियों के रहनुमा केवल चुनाव के समय ही राजनीति करने अपने अपने घरों से बाहर निकलते है। शहरवासी भी इस मौसम में एक खेमे से दूसरे खेमे में बरसाती मेंढक की तरह उछल कूद करते है। जिसके कारण इनका ना तो विकास हुआ है और ना ही गल्ली मोहल्ले का विकास होता है।
शहरवासियों की अज्ञानता के कारण पालिका प्रशासन में बैठे अधिकारी भी ठेकेदारों से थूक लगवाकर सड़क मरम्मत के नाम पर लाखों करोड़ों का घोटाला कर लेते है यह सिलसिला दर साल चलता रहता है। सड़कें बनती है, मरम्मत होती है किन्तु एक ही बरसात में फिर जस की तस हो जाती है। सड़कों पर सिर्फ बचता है कंक्रीट व पत्थर। डामर आॅयल बनकर कहां चला जाता है। इसका पता लगाना बस की बात नहीं। शहर के चारों उड़ान पुलों पर पानी की सही निकासी ना होने से पुल पर बड़े बड़े गड्डे है। जिसके कारण दररोज एक्सीडेंट हो रहे है। कामवारी नदी के नदीनाका पुल के पास कई वर्षो से डिवाडर यमराज के रूप में गाडियों के लिए खड़ा है। बाहरी राज्यों से आने वाले गाडियों के ड्राइवरों को इस डिवाडर की जानकारी ना होने से महीने में दो चार गाडियां डिवाडर पर चढ़कर पलट ही जाती है। पालिका,एमएम आरडीए और यातायात विभाग सहित स्थानीय पुलिस प्रशासन जैसे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है।लगभग 20 फुट लंबे इस डिवाडर को तोड़ने के लिए कब मुहूर्त बनेगा। इसका पता नहीं है। चुनाव आते ही नेता बड़े-बड़े वादे तो करते है किन्तु उस पर अमल नही होता। शहरवासी टैक्स भरने के बावजूद आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है,जैसे शहर आज मुर्दा हो चुका है। किसी कोने से आवाज नहीं उठती। इसी का फायदा इस अंधेर नगरी का राजा उठता है। इस लावारिस पड़े शहर की समस्याओं से निपटने के लिए शहर वासियों को स्वयं संघर्ष करना पडे़गा।
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