सद्गुरुदेव सदाफल देव जी महाराज की घूम धाम से मनाई गई137वी जन्म जयंती

स्वर्वेद शोभायात्रा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़,भजन कीर्तन  व आरती से भक्तिमय हुए दुर्गावती के बाजार वासी और आने जाने वाले राहगीर

 संवाददाता श्यामसुंदर पांडेय की रिपोर्ट 


दुर्गावती (कैमूर)- विहंगम योग की क्रियात्मक साधना पद्धति से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है,विहंगम योग  एक क्रियात्मक ज्ञान है, विश्व के पचास से अधिक देशों में लाखों शिष्य इस योग से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। उक्त बातें विहंगम योगी प्रो श्रीकांत प्रधान ने कहीं । वे रविवार को स्थानीय बाजार के एक मैरेज हाल में विहंगम योग के प्रणेता ,अभ्यास सिद्ध सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 137 वीं जन्म जयंती समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में श्रद्धालुओं को अपने संबोधन में कहा । उन्होंने कहा कि विहंगम योग में मन को रोकने की कला बतायी जाती है। उन्होंने कहा कि सदाफल देव जी महाराज ने बताया है कि ईश्वर है उसे साधना की पद्धति से प्राप्त किया जा सकता है । विहंगम योग के जिला उपदेष्टा जय प्रकाश जी ने गीता व स्वर्वेद के उत्तरार्ध आठ दोहों के माध्यम से गुरु के महत्व को बताया । रमेश जी ने बताया कि विहंगम योग सहज व सरल जीवन जीने की पद्धति है।शोभायात्रा के बाद हवन पूजन ,आरती व भजन कीर्तन भी श्रद्धालुओं द्वारा किया गया। उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद वितरण भी किया गया।  समारोह के दौरान मंच संचालन सत्येंद्र जी ने किया। मौके जिला सचिव प्रेम जायसवाल, संतोष चौधरी,श्यामसुंदर जी सहित काफी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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