डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण साढ़े चार वर्ष के बच्चे का जीवन अधर में, पीएमओ ने राज्य के मुख्य सचिव को दिया है जांच का आदेश

भिवंडी ।। भिवंडी के तिरुपति हॉस्पिटल के स्वामी स्टोन क्लीनिक सहित ठाणे के वेदांत हॉस्पिटल के डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण साढ़े चार वर्ष के एक लड़के का जीवन अधर में पड़ गया है।  इस मामले में पीड़ित लड़के के पिता की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य के मुख्य सचिव से जांचकर पीएमओ को जानकारी देने का आदेश दिया है। पीएमओ के इस आदेश पर लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों में हडकंप मचा हुआ ह  भिवंडी के गैबीनगर क्षेत्र निवासी अब्दुल्लाह मोमिन (4.5 वर्ष ) 2017 में केएमई इंग्लिश स्कूल में केजी में पढ़ता था। अब्दुल्लाह किडनी स्टोन सी पीड़ित था,भिवंडी मनपा के सफाई मजदूर उसके पिता मो.यासीन मोमिन ने अब्दुल्लाह के उपचार के लिए 21 नवंबर को उसे तिरुपति हॉस्पिटल के स्वामी स्टोन क्लीनिक में डॉ.गजानन स्वामी को दिखाया था। अब्दुल्लाह की जांच करने के बाद डॉ.गजानन स्वामी ने ऑपरेशन कराने की सलाह देते हुए उन्होंने 25 हजार रूपये का खर्च बताया था। ऑपरेशन करने से पहले डॉ.गजानन स्वामी ने मासूम हॉस्पिटल से फिटनेस सर्टिफिकेट लाने के लिए कहा था, अब्दुल्लाह के पिता मो.यासीन मोमिन ने फिटनेस सर्टिफिकेट सहित किडनी स्टोन के ऑपरेशन के लिए 27 नवंबर को 15 हजार रूपये अग्रिम तिरुपति हॉस्पिटल में जमा कर दिया था। लेकिन बेहोश करने वाले विशेषज्ञ डॉ.सतोष पाटिल के न आने के कारण ऑपरेशन नही किया गया। दूसरे दिन 28 नवंबर को सायंकाल चार बजे उसे ऑपरेशन थियेटर में लेकर गए लेकिन अब्दुल्लाह की किडनी स्टोन का ऑपरेशन करने के बजाय लगभग ढाई घंटे बाद सायं साढ़े छः बजे ठाणे के वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के एंबुलेंस से उसे वेदांत हॉस्पिटल में भेज दिया गया। जहां रात भर उसे वेंटीलेटर पर रखने के बाद सुबह उसके किडनी स्टोन का ऑपरेशन कर दिया गया। उस समय तिरुपति हॉस्पिटल के डॉक्टर ने उनके द्वारा जमा किए गए 15 हजार रूपया  उन्हें वापस करते हुए बताया कि दो दिन के बाद अब्दुल्लाह को हॉस्पिटल से घर भेज दिया जाएगा। किडनी स्टोन का ऑपरेशन करने के बाद अब्दुल्लाह की शरीर अकड़ जाती थी। जिसके कारण वह तड़फड़ा जाता था। जिसके कारण डॉक्टरों द्वारा अब्दुल्लाह को वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के आईसीयू एवं एनआईसीयू में लगभग 12 दिन तक रखकर विभिन्न जांच कराने के लिए कहा गया था।  वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा इस दौरान अब्दुल्लाह के न तो किडनी स्टोन का उपचार किया गया और न ही उसके परिवार से मिलने दिया गया। जब अब्दुल्लाह के पिता मो.यासीन मोमिन ने उसकी बिगड़ती हालत के बारे में डॉक्टर से पूछा तो उन्हें बताया गया कि तुम्हारा लड़का बिलकुल ठीक हो गया है और वह सामान्य बच्चों की तरह है जिसका सर्टिफिकेट भी दे दिया।  जिसके लिए वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ने उसे एक लाख रूपये का बिल भरने के लिए दे दिया। 

लेकिन अब्दुल्लाह की हालत खराब होने पर उसे मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उसका उपचार कर रहे डॉ.उदानी ने बताया कि अब्दुल्लाह के उपचार में भिवंडी के स्वामी स्टोन क्लीनिक के डॉ. स्वामी, डॉ.संतोष पाटिल एवं वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा भारी लापरवाही की गई है। जिसके कारण अब्दुल्लाह की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती गई। डॉ. संतोष पाटिल द्वारा बेहोशी के इंजेक्शन का आवश्यकता से ज्यादा खुराक देने के कारण उसके कमर के नीचे का भाग बेकार हो गया है। जिसके कारण अब्दुल्लाह के पिता मो.यासीन मोमिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अब्दुल्लाह की जिंदगी खराब करने वाले भिवंडी के स्वामी स्टोन क्लीनिक सहित ठाणे के वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टरों के विरुद्ध फौजदारी का मामला दर्ज कराकर न्याय की मांग की थी। पीएमओ ने उनके पत्र को गंभीरता से लेते हुए इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव से जांचकर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।   उक्त मामले को लेकर जब स्वामी स्टोन क्लीनिक एवं ठाणे के वेदांत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल से संपर्क किया गया तो कोई स्पष्ट जवाब नही दिया गया। आईजीएम उपजिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ.अनिल थोरात ने बताया कि बच्चों को कमर पर बेहोशी के दवा की खुराक अधिक देने से कमर के नीचे का भाग बेकार हो जाता है और बेहोशी की दवा की अधिक खुराक देना कानूनन अपराध भी है।  


          

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