गुटखे की ऊंची कीमत मांगने पर ग्राहकों की पिटाई, एफडीए की विफलता पर उठे सवाल

भिवंडी।  भिवंडी के हनुमान टेकरी इलाके में प्रतिबंधित गुटखे की ऊंची कीमत वसूलने पर हुए विवाद में दो ग्राहकों की बेरहमी से पिटाई की गई। पान टपरी चालक और उसके तीन साथियों ने न केवल ग्राहकों के साथ गाली-गलौच की, बल्कि लोहे की रॉड से हमला भी किया। इस घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की प्रतिबंधित गुटखे की उपलब्धता को रोकने में असफलता भी उजागर की है। भिवंडी पुलिस ने इस मामले में चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मुख्य आरोपी टपरी चालक को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसके तीन अन्य साथी फरार हैं।

पुलिस के मुताबिक यह घटना 23 सितंबर की रात करीब 12 बजे की है, जब ठाणे निवासी सोमनाथ यादव और उसके मित्र राहुल हजारे ने भिवंडी के हनुमान टेकरी स्थित एक पान की टपरी पर रुककर रजनीगंधा गुटखा मांगा। टपरी चालक जब्बार उर्फ लाल्या अब्दुल सत्तार कुरेशी (19) ने 30 रुपये की कीमत वाले गुटखे के लिए 50 रुपये मांगे। जब ग्राहकों ने इस मनमानी का विरोध किया और 40 रुपये देने की पेशकश की, तो विवाद शुरू हो गया। गुस्से में आकर टपरी चालक ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर लोहे की रॉड से दोनों ग्राहकों पर हमला कर दिया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल सोमनाथ यादव की शिकायत पर भिवंडी शहर पुलिस ने टपरी चालक जब्बार और उसके तीन साथियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य तीन की तलाश जारी है।

यह घटना एफडीए की निष्क्रियता और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है। प्रतिबंधित गुटखा, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और गैरकानूनी है‌।खुलेआम बिक रहा है और उसके ऊपर अवैध रूप से दाम भी वसूले जा रहे हैं। एफडीए, जिसका काम प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री पर नजर रखना और रोकथाम करना है, अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल साबित हो रहा है। यह घटना प्रशासन की लचर निगरानी और गैर-कानूनी गतिविधियों पर काबू पाने में असमर्थता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

भिवंडी जैसे संवेदनशील इलाके में प्रतिबंधित गुटखे की खुलेआम बिक्री और उसके कारण हो रही हिंसा ने स्थानीय लोगों में आक्रोश और डर का माहौल पैदा कर दिया है। नागरिक अब एफडीए और पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और कानून का राज स्थापित हो सके।इस घटना ने एफडीए की निष्क्रियता और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं।

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