भिवंडी में जीलानी बिल्डिंग हादसे के आरोपी को मिली 1311 खतरनाक इमारतों की जिम्मेदारी

प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल

भिवंडी। 21 सितंबर 2020 की रात भिवंडी के पटेल कंपाउंड स्थित जीलानी बिल्डिंग का हिस्सा अचानक ढह गया। जिसके मलबे में 38 लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह घटना शहर के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है। इस त्रासदी के बाद तत्कालीन पालिका आयुक्त पंकज आशिया ने एक जांच समिति का गठन किया जिसकी जांच रिपोर्ट में इमारत के मालिक और महानगर पालिका के अधिकारियों को हादसे का जिम्मेदार ठहराया गया था। इसी के चलते नारपोली पुलिस ने जमीन मालिक सैयद मोहम्मद जीलानी,बिल्डर मोहम्मद मुख्तार गुलाम रसूल फंडोले और नगर पालिका के सहायक आयुक्त सुदाम जाधव सहित अन्य अधिकारियों पर केस दर्ज किया। उक्त लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304(2), 338, 337 और एमआरटीपी एक्ट के तहत मुकदमा चला रहा है। पुलिस ने इस मामले में सुदाम जाधव सहित अन्य दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी की थी लेकिन पुलिस रिमांड के बाद अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है। हालांकि हादसे के बाद जाधव को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन महज सात-आठ महीने बाद उन्हें फिर से सेवा में बहाल कर दिया गया। इस पर कई लोगों ने प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े किए थे। यही नहीं वर्ष 2023-24 में उन्हें पुनः सहायक आयुक्त के रूप में पदस्थापित किया गया और उन्हें शहर की 1311 खतरनाक और जर्जर इमारतों की देखरेख की जिम्मेदारी भी दे दी गई। 

वर्तमान समय में शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित इन 1311 इमारतों में से 287 को अत्यधिक खतरनाक घोषित है। इन इमारतों में हजारों लोग अपने जीवन को जोखिम में डालकर रह रहे है। इसके बावजूद प्रशासन की तरफ से इन इमारतों को खाली कराने या इन्हें सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस लापरवाही के चलते हाल ही में कई इमारतों के हिस्से जैसे छज्जे और गलियारे, गिरने की घटनाएं सामने आई है। बावजूद इसके प्रशासन इन घटनाओं की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहा है।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जीलानी बिल्डिंग हादसे के मुख्य आरोपी सहायक आयुक्त सुदाम जाधव को पूरे शहर के अतिक्रमण और खतरनाक इमारतों के नियंत्रण की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। यह फैसला प्रशासन की उदासीनता और लोगों की सुरक्षा की अनदेखी को दर्शाता है। जिस अधिकारी पर पहले ही इतने बड़े हादसे का आरोप है, उसे दोबारा इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपना न केवल जनता के साथ धोखा है, बल्कि प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है। प्रशासन की इस लापरवाही के चलते शहर के हजारों परिवार अब भी जर्जर और खतरनाक इमारतों में रहने को मजबूर है और यह किसी भी समय एक और बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकता है।

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