भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट: कौन होगा अगला विधायक ?

▪️सपा व AIMIM कर सकती है नयें चेहरें की तलाश

▪️भाजपा का चुनाव प्रचार कार्यालय खुला

▪️पारी व पार्टी बदलने की कोशिश में है कई इच्छुक उम्मीदवार

▪️शिवसेना (उद्धव गुट) के रूपेश म्हात्रे की मजबूत दावेदारी

भिवंडी। ठाणे जिले की भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी दंगल बेहद दिलचस्प होने वाला है। उम्मीदवारों के बीच घमासान शुरू हो चुका है और इस सीट पर कई चेहरे अपनी किस्मत आजमाने को तैयार है,हालांकि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के पूर्व विधायक रूपेश दादा म्हात्रे की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है जो पहले भी इस सीट से दो बार जीत दर्ज कर विधायक रह चुके है।

शिवसेना (उद्धव गुट) का परचम फहराने की तैयारी :

भिवंडी पूर्व सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता के बावजूद रूपेश दादा म्हात्रे की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है,शिवसेना (उद्धव गुट) के स्थानीय कार्यकर्ता और पार्टी पदाधिकारी इस बार भी अपने पुराने चेहरे को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति बना रहे है। इस बार महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के संभावित गठबंधन से भी म्हात्रे की जीत की संभावना और प्रबल हो गई है। अगर एमवीए का गठबंधन बना रहता है तो इस सीट पर रूपेश म्हात्रे की जीत लगभग तय मानी जा रही है।

सपा विधायक रईस कासिम शेख से बढ़ती नाराजगी ::

वर्तमान विधायक रईस कासिम शेख (सपा) ने पिछले पांच वर्षों में अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों को आधार बनाकर फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी की है। लेकिन सूत्रों की मानें तो आजमगढ़ के उत्तर भारतीय समुदाय में उनके खिलाफ नाराजगी है जो इस बार चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकती है। साथ ही सपा के भीतर चल रही गुटबाजी भी रईस शेख के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है।

एनसीपी (अजीत पवार गुट) और कांग्रेस की रणनीति :

राकांपा (अजित पवार गुट) भी इस बार भिवंडी पूर्व सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत कर रही है। पार्टी के पदाधिकारी इस सीट को राकांपा को दिए जाने की मांग कर चुके है। दूसरी ओर कांग्रेस ने अब तक इस सीट पर कोई स्पष्ट दावेदारी पेश नहीं की है। पार्टी के नेता फिलहाल भिवंडी पश्चिम सीट पर फोकस कर रहे है लेकिन कुछ कांग्रेसी नेताओं ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। 

भाजपा के संतोष शेट्टी: नए समीकरण की खोज में ::

भाजपा के संतोष शेट्टी जो 2014 में भाजपा और 2019 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ चुके है। इस बार एक बार फिर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। शेट्टी ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए नई रणनीतियां बनाई हैं और उनकी तैयारी जोरों पर है। उनके साथ अगर महायुति बनी तो शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेताओं का समर्थन प्राप्त होगा है। जो उनके लिए फायदा साबित हो सकता है। हालांकि पिछले दो चुनावों में हार के बाद इस बार भी उनकी राह आसान नहीं होगी।

चुनावी इतिहास, भूतकाल की झलक :

2009 के विधानसभा चुनाव में अबू आसिम आजमी (सपा) ने 42% मतों के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की थी। किन्तु मानखुर्द शिवाजी नगर व भिवंडी पूर्व दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के से उन्हें भिवंडी पूर्व की सीट छोड़ने का फ़ैसला लिया था। जिसके कारण इस सीट पर उप चुनाव हुए और शिवसेना के रूपेश म्हात्रे ने सपा के फरहान आजमी हो हरा कर भगवा लहराया था।

2014 के विधानसभा चुनाव में पुनः रूपेश म्हात्रे ने 27.56 % मतों के साथ इस सीट पर परचम लहराया और भाजपा के संतोष शेट्टी को 30148 मत कुल 24.77% व सपा के अबू फरहान आज़मी 17541 मत कुल 14.41 % ही वोट मिले थे। पहली बार इस सीट पर चुनाव लड़ रही AIMIM के खान मोहम्मद अकरम अब्दुल हन्नम को 14577 मत मिले जो कुल 11.98 % था। कांग्रेस व राकांपा के उम्मीदवार विजय तालिका के पांचवें व छठे नंबर पर थे। 

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में सपा ने वापसी करते हुए जीत दर्ज की और सपा के उम्मीदवार रईस कासिम शेख को 45537 मत कुल 35.23 % मत मिले, वही पर शिवसेना के रूपेश दादा म्हात्रे 34.21 % कुल 44223 मत पाकर मात्र 1314 मतो से हार गये थे। कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पंजा से चुनाव लड़े संतोष शेट्टी विजय तालिका में तीसरे नंबर पर 32198 मत कुल 24.91 % ही वोट मिले थे। 2014 और 2019 के चुनावों में भी यहां कड़ा मुकाबला देखा गया था। इस बार के चुनाव में भी इसी तरह के संघर्ष की उम्मीद है। जिसमें कई दावेदार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

क्या कहते हैं जातीय समीकरण ? :

सामान्य श्रेणी की इस सीट पर भी भिवंडी पश्चिम की तरह ही मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा रहा है। यही वजह है कि यहां पर दो बार समाजवादी पार्टी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 2 लाख 68 हजार वोटर्स में से 1 लाख 36 हजार 638 मतदाता मुसलमान हैं। इस सीट पर लगभग साढे़ 4 हजार दलित तो साढ़े 3 हजार आदिवासी वोटर्स भी हैं। सितंबर 2024 में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में 3 लाख 55 हजार 557 वोटर्स है। जिनमें 1लाख 47 हजार 916 महिलाएं, 2 लाख 7 हजार 458 पुरूष और 183 तृतीय पंर्थी वोटर्स है।

क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण ? : 

इस बार भिवंडी पूर्व सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।जिसमें शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के रूपेश दादा म्हात्रे, सपा के रईस कासिम शेख और भाजपा के संतोष शेट्टी प्रमुख दावेदार है। अगर महाविकास आघाड़ी गठबंधन पूरी ताकत से मैदान में उतरता है तो रूपेश म्हात्रे की जीत की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। वहीं सपा और भाजपा भी इस सीट को लेकर अपनी रणनीतियां बना रही है। भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव कई समीकरणों के बीच लड़ा जाएगा। रूपेश दादा म्हात्रे की मजबूत पकड़,महाविकास आघाड़ी का संभावित गठबंधन और क्षेत्रीय समीकरण उन्हें सबसे प्रबल दावेदार बना रहे है। हालांकि भाजपा और सपा भी मैदान में डटे हुए है और अंतिम परिणाम जनता के फैसले पर निर्भर है।

रिपोर्टर

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