भिवंडी मनपा में भ्रष्टाचार की गूंज

385 अवैध इमारतों से करोड़ों की वसूली का मामला

पालिका की आर्थिक तंगी का मुद्दा दशहरा रैली में गूंजा

वसूली एजेंट सुदाम जाधव सहित कई लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज


भिवंडी। भिवंडी महानगरपालिका (मनपा) के भीतर पनप रहे भ्रष्टाचार और अवैध इमारतों के निर्माण का मामला अब राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। हाल ही में दशहरा रैली के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भिवंडी के बिगड़ते हालात पर गंभीर चिंता जताई और राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उनके इस बयान के बाद, भिवंडी मनपा में 385 अवैध इमारतों से जुड़ी करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी का मामला और तेज हो गया है।

भ्रष्टाचार की अंधेरी गलियों में भिवंडी::::

शिवसेना (उद्धव गुट) के भिवंडी पूर्व सचिव गोकुल कदम द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, प्रधान सचिव और लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग को की गई शिकायत ने पूरे मामले को एक नई दिशा दी है। कदम का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों में 385 अवैध इमारतें मनपा अधिकारियों की मिलीभगत से खड़ी की गईं, जिसमें हर स्लैब के निर्माण के लिए 1 से 2 लाख रुपये की रिश्वत ली गई। इसके अलावा,इमारत का नंबर या असिसमेंट करने के लिए 15 से 25 रुपये प्रति वर्ग फुट रिश्वत वसूली गई।

रिश्वतखोरी का संगठित नेटवर्क::::

शहर में रिश्वतखोरी का यह खेल इतना संगठित है कि सुदाम जाधव जैसे वसूली एजेंटों के नाम खुलकर सामने आ रहे है जनवरी और फरवरी में, जाधव और उनके सहयोगियों ने टैक्स लगाने के लिए 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। एंटी-करप्शन ब्यूरो ने उन्हें रंगे हाथों 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। जिससे इस पूरे भ्रष्टाचार के जाल का खुलासा हुआ।

अवैध इमारतों का जाल :::::

भिवंडी शहर के विभिन्न प्रभागों में 385 से अधिक अवैध इमारतें खड़ी की गईं, जिनमें से कई का निर्माण आज भी जारी है। इनमें प्रभाग समिति क्रमांक एक के तहत 72, क्रमांक दो के तहत 41,क्रमांक तीन में 87, क्रमांक चार में 106 और क्रमांक पांच के तहत 79 इमारतें शामिल हैं। यह अवैध निर्माण न केवल शहर की बुनियादी ढांचे पर बोझ है, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण भी है।

भ्रष्टाचार के आरोपी को मिली जिम्मेदारी:::::

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपी सुदाम जाधव, जो रिश्वतखोरी में पकड़े गए थे,उन्हें ही पूरे शहर के पांच प्रभागों के अवैध बांधकाम का नियंत्रण अधिकारी बना दिया गया है। इसके अलावा, वह खुद अपीलीय अधिकारी की भूमिका भी निभा रहे हैं। जीलानी बिल्डिंग हादसे में भी सुदाम जाधव की लापरवाही के आरोप लगे थे और उन्हें जेल की सजा भी हुई थी,इसके बावजूद उन्हें फिर से इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपना प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

सवालों के घेरे में प्रशासन::::

भिवंडी के नागरिक इस भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं और अब यह मामला सीधे राज्य सरकार तक पहुंच चुका है। उद्धव ठाकरे द्वारा दशहरा रैली में इसे प्रमुखता से उठाए जाने के बाद,यह देखना बाकी है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते है। शहर के हालात जिस तरह से बिगड़ते जा रहे हैं, वह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाता है। अब सवाल यह उठाता है कि क्या दोषियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा ?

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