अवैध इमारत निर्माण हादसा: अकबर की मौत के लिए कौन जिम्मेदार ?

भिवंडी। भिवंडी शहर के शास्त्री नगर में आज सुबह एक दर्दनाक घटना घटी, जब अवैध रूप से निर्माणाधीन इमारत के दौरान लिफ्ट की ट्राली गिरने से एक निर्दोष राहगीर अकबर की मौत हो गई। यह हादसा इस बात का प्रतीक है कि शहर में अवैध निर्माण कार्यों पर प्रशासन की अनदेखी और भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है। शहर में लगातार बढ़ती अवैध इमारतों और उन पर उचित सुरक्षा मानकों की कमी ने इस दुखद घटना को अंजाम दिया। शहर के शास्त्री नगर में निर्माणाधीन इमारत की पांचवीं मंजिल पर स्लैब लगाने के लिए लिफ्ट की ट्राली सेट की जा रही थी, जब अचानक ट्राली टूट गई और नीचे गिर गई। अकबर, जो उस समय कपड़े की दुकान के लिए सामान लेकर जा रहे थे, इस हादसे का शिकार हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह अवैध इमारत शिकंदर बडगुजर नामक बिल्डर द्वारा बनाई जा रही थी, जिसने किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा था। इस प्रकार की लापरवाही से एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई, लेकिन सवाल उठता है कि ऐसे हादसों के लिए सिर्फ बिल्डर ही जिम्मेदार है या शहर का पालिका प्रशासन भी ?

भिवंडी महानगर पालिका क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में 384 अवैध इमारतें निर्माण हो चुकी हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पालिका के भ्रष्ट अधिकारी बिल्डरों से वसूली कर सिर्फ कागजी कार्रवाई कर रहे हैं, जिससे अवैध निर्माण कार्य बेधड़क जारी है।

यह कोई पहली घटना नहीं है, जब अवैध निर्माण के कारण किसी की जान गई हो। शहर में तेजी से फैलते अवैध इमारतों के मकड़जाल का कारण प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार है। बिल्डर बिना किसी डर के दिन में स्लैप पर स्लैप मार रहे हैं, क्योंकि उन्हें प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है। पालिका प्रशासन ने अवैध निर्माणों पर नियंत्रण के लिए कई अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है, जैसे अतिरिक्त आयुक्त देवीदास पवार, उपायुक्त शैलेन्द्र दोंदे, और शहर विकास नियंत्रण अधिकारी सुदाम जाधव। बावजूद इसके, प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है। यदि सही समय पर कार्रवाई की जाती, तो आज अकबर की मौत नहीं होती। इस हादसे के बाद भिवंडी की जनता में आक्रोश है। वे चाहते हैं कि इस घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, चाहे वे बिल्डर हों या पालिका के भ्रष्ट अधिकारी। अकबर की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है। जनता मांग कर रही है कि पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को इस घटना के लिए जवाबदेह ठहराया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। अकबर की मौत ने शहर के प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अवैध निर्माणों की सच्चाई को सामने ला दिया है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस बार सच में कदम उठाएगा, या यह मामला भी बाकी हादसों की तरह दबा दिया जाएगा ?

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