भिवंडी पालिका में रिश्वत का बम फटा:क्लर्क बने उपायुक्त, सफाईकर्मी बने इंजीनियर—भ्रष्टाचार का नंगा नाच !

प्रशासक अजय वैद्य के राज में घोटालों की सुनामी, करोड़ों की बोली में बिक रहे ऊंचे पद !

भिवंडी। भिवंडी नगर पालिका में भ्रष्टाचार का ऐसा विस्फोट हुआ है, जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। यहां कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए क्लर्क बने प्रभारी उपायुक्त और सफाईकर्मी जैसे निचले दर्जे के कर्मचारियों को इंजीनियर की कुर्सी सौंप दी गई है। अजय वैद्य के प्रशासक कार्यकाल में चल रहा यह खेल एक बेशर्म साजिश की तरह सामने आया है जहां हर कुर्सी और पद की मोटी कीमत वसूली जा रही है। पालिका में चल रहे इस घोटाले में कर्मचारियों की नियुक्ति और तबादले की नीलामी चल रही है, जहां 5 लाख से 15 लाख तक की रिश्वत देकर बड़े ओहदे हथियाए जा रहे है। पद मिलने के बाद भी वसूली का सिलसिला नहीं रुकता—हर महीने "रिचार्ज" के नाम पर मोटी रकम की डील की जा रही है। क्या पालिका अब प्रशासन का अड्डा है या रिश्वत का बाजार ?

 साफ-सुथरी सड़कों का दावा करने वाली पालिका में सफाईकर्मियों को भी भ्रष्टाचार की मलाई चखने का मौका मिल रहा है। तीन साल पहले भर्ती हुए सफाईकर्मी अब जलपूर्ति विभाग में प्रभारी इंजीनियर बनकर बैठे है। बांधकाम विभाग भी अछूता नहीं है और शहर भर में यह घोटाला अब किसी बम की तरह फूटा है। लोग हैरान हैं कि कैसे अयोग्य लोग महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर चुके है।

पालिका में न सिर्फ भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, बल्कि अवैध निर्माण भी धड़ल्ले से हो रहा है। शहर में 384 अवैध इमारतें खड़ी हो चुकी है और यह सबकुछ बेरोजगार हो चुके नगरसेवकों और भष्ट्र अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। आयुक्त अजय वैद्य की आंखों के सामने यह काला कारोबार फल-फूल रहा है। वे बिना सोचे-समझे हर अवैध फाइल पर दस्तखत कर रहे हैं, मानो हर दस्तखत के पीछे करोड़ों की रिश्वत छिपी हो।

कामगार संगठनों ने इस रिश्वतखोरी के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया है।राज्य के प्रधान सचिव सुजाता सौनिक और लोकायुक्त से शिकायत की जा चुकी है। वे मांग कर रहे हैं कि अजय वैद्य और उनके चमचों की पूरी फौज के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच हो, ताकि इस गंदगी को साफ किया जा सके। अब सवाल यह है: क्या भिवंडी का भविष्य इस भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाएगा ? या फिर इस रिश्वत के साम्राज्य का अंत निकट है ?

रिपोर्टर

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