137 भिवंडी पूर्व विधानसभा: शिवसेना का गढ़, पूर्व विधायक रूपेश म्हात्रे का अपक्ष नामांकन

चुनावी समीकरणों में बड़ी हलचल


भिवंडी। 137 भिवंडी (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। शिवसेना (उद्धव गुट) के कार्यसम्राट पूर्व विधायक रूपेश लक्ष्मण म्हात्रे ने इस बार अपक्ष उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है। उनका अपक्ष नामांकन न केवल महाविकास आघाड़ी के भीतर बल्कि महायुति के खेमे में भी तनाव पैदा कर दिया है। भिवंडी (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता है। रूपेश म्हात्रे यहां दो बार विधायक रह चुके है और उनका अपक्ष उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करना एक साहसिक कदम माना जा रहा है। पिछले चुनाव में उन्हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। जबकि बहुत कम अंतर से समाजवादी पार्टी (सपा) के रईस कासिम शेख ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार स्थिति काफी अलग नजर आ रही है। शिवसैनिकों और उनके समर्थकों का मानना है कि म्हात्रे तीसरी बार विधायक बनकर इतिहास रचेंगे।

विकास कार्यों की मजबूत बुनियाद ::::

रूपेश म्हात्रे ने अपने पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान भिवंडी पूर्व में विकास की लहर पैदा की है। उनके कार्यों की सराहना सिर्फ हिंदू समुदाय ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों में होती है। क्षेत्र के लोग उनके कार्यों को याद करते हुए उन्हें एक कर्मठ नेता के रूप में देखते है। जिन्होंने सड़क, पानी, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यही वजह है कि इस बार उनके अपक्ष के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय कई उम्मीदवारों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

सपा और महाविकास आघाड़ी में हलचल::::

समाजवादी पार्टी ने इस बार फिर से रईस कासिम शेख को भिवंडी पूर्व से उम्मीदवार घोषित किया है। 2019 में जातीय ध्रुवीकरण के आधार पर शेख ने जीत हासिल की थी, लेकिन वोटों का अंतर बहुत कम था। शिवसेना के रूपेश म्हात्रे, जो दोनों समुदायों में समान रूप से लोकप्रिय हैं, ने इस बार अपक्ष रूप से चुनाव लड़कर सपा के समीकरणों को उलझा दिया है।

महाविकास आघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस,राकांपा, शिवसेना और सपा के बीच सीटों को लेकर खींचतान जारी है। हालांकि सपा प्रमुख अखिलेश सिंह यादव ने भिवंडी पूर्व से रईस कासिम शेख और भिवंडी पश्चिम से रियाज आज़मी को उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन महाविकास आघाड़ी की ओर से अभी तक इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है।

महायुति में भी तनाव ::::::

महायुति के खेमे में भी इस सीट को लेकर खींचतान जारी है। शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा के बीच भिवंडी पूर्व सीट को लेकर गहमागहमी चल रही है। भाजपा के संतोष शेट्टी, जो भिवंडी शहर के पूर्व अध्यक्ष रह चुके है। इस बार टिकट की दौड़ में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। चर्चा है कि शिवसेना (शिंदे गुट) के सुभाष माने और भाजपा के सुमित पाटिल महायुति की ओर से संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं।

भिवंडी पूर्व में रोमांचक मुकाबला ::::

इस बार भिवंडी पूर्व विधानसभा का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो चुका है।शिवसेना (उद्धव गुट) के रूपेश म्हात्रे का अपक्ष उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरना महाविकास आघाड़ी और महायुति दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।शिवसैनिकों का मानना है कि म्हात्रे की लोकप्रियता और उनके पिछले कार्यकाल के विकास कार्य इस बार उन्हें विजयी बनाएंगे। दूसरी ओर, सपा और महायुति दोनों अपने-अपने समीकरणों को साधने में जुटे हैं,लेकिन म्हात्रे की उम्मीदवारी ने सभी दलों के लिए मुकाबले को कठिन बना दिया है।

भिवंडी पूर्व विधानसभा का यह चुनाव आगामी हफ्तों में और भी अधिक गर्म हो सकता है। जहां शिवसेना का गढ़,रूपेश म्हात्रे की अपक्ष उम्मीदवारी,और महाविकास आघाड़ी और महायुति के उम्मीदवारों के बीच होने वाला मुकाबला चर्चा का विषय बना रहेगा।

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