
विकास से वंचित ग्रामीण इलाकों में चुनावी माहौल गरम, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली बनी बड़ा मुद्दा
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Nov 02, 2024
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भिवंडी। भिवंडी के ग्रामीण इलाकों में पिछले 10 वर्षों से विकास की भारी कमी ने स्थानीय जनता को नाराज कर रखा है। पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा, खस्ताहाल सड़कों पर जानलेवा गड्ढे, और आदिवासी पाड़ों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव—इन मुद्दों ने आगामी चुनावों को बेहद संवेदनशील बना दिया है। जनता इस बार अपने वोट की ताकत से बदलाव की उम्मीद कर रही है।
भिवंडी के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या अभी भी बड़ी चुनौती है। साफ पेयजल की अनुपलब्धता से लोग भारी संकट में हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और भी गंभीर है, किसी गंभीर बीमारी या प्रसव के मामले में घंटों का सफर तय करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज न मिलने के कारण कई बार गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है।
सड़कों पर बने गड्ढों ने बीते सालों में कई लोगों की जान ले ली है। हादसे आम हो गए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया। सड़कों की मरम्मत के नाम पर किए गए काम कुछ समय बाद ही दम तोड़ देते हैं, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी और बढ़ती जा रही है।
आदिवासी पाड़ों की स्थिति तो और भी दयनीय है। यहां के लोग अब भी विकास से वंचित हैं। न तो पानी पहुंच पाया है, न ही स्वास्थ्य सुविधाएं। शिक्षा और रोजगार के अवसर भी नदारद हैं, जिससे ये इलाकों के लोग अपनी जिंदगी बेहतर बनाने के लिए तरस रहे हैं।
चुनावों के नजदीक आते ही यह मुद्दे जोर पकड़ रहे हैं। विधायक शांताराम मोरे के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा। स्थानीय जनता अब जवाब मांग रही है कि आखिर क्यों उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका। विपक्षी दल भी इन मुद्दों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, और जनता को विकास का सपना दिखा रहे हैं।
भिवंडी ग्रामीण विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव विकास बनाम वादों की कसौटी पर लड़ा जाएगा। देखना यह है कि क्या ग्रामीण इलाकों की जनता को इस बार वाकई विकास की सौगात मिल पाएगी, या फिर उन्हें एक बार फिर चुनावी वादों के भरोसे छोड़ दिया जाएगा। जनता का मूड देखकर यह साफ है कि इस बार वोटर बदलाव की बयार लाने का मन बना चुके हैं।
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