
!! बाहरी बनाम भूमिपुत्र की लड़ाई !!
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Nov 02, 2024
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भिवंडी पूर्व विधानसभा में चुनावी संग्राम !
महाविकास आघाड़ी के विरोध से सपा उम्मीदवार रईस शेख की मुश्किलें बढ़ीं
भिवंडी। भिवंडी पूर्व विधानसभा सीट पर सियासी पारा चरम पर है। महाविकास आघाड़ी के घटक दल कांग्रेस ने सपा उम्मीदवार रईस शेख का समर्थन न करने की घोषणा कर राजनीतिक समीकरण बदल दिए है। कांग्रेस व शिवसेना के इस फैसले से रईस शेख की स्थिति कमजोर हो गई है और उनकी सीट पर खतरा मंडराने लगा है।
भिवंडी पश्चिम में भी दरारें गहरी::::
सिर्फ भिवंडी पूर्व ही नहीं, भिवंडी पश्चिम सीट पर भी महाविकास आघाड़ी में सियासी तनाव चरम पर है। यहां कांग्रेस ने दयानंद चोरघे को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि सपा ने रियाज आज़मी को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया है। इससे कांग्रेस और सपा के बीच खींचतान बढ़ गई है। कांग्रेस पदाधिकारी रियाज आज़मी का नामांकन वापस लेने की मांग कर रहे हैं,जिससे आघाड़ी के अंदर संकट और गहराता जा रहा है।
बाहरी बनाम भूमिपुत्र की लड़ाई :::
इस बार चुनावी चर्चा में "बाहरी बनाम भूमिपुत्र" का मुद्दा सबसे ज्यादा गरमाया हुआ है। रईस शेख, जो मुंबई से आकर भिवंडी में चुनाव लड़ते हैं, को बाहरी उम्मीदवार माना जा रहा है। दूसरी ओर, शिवसेना (UBT) के नेता रूपेश लक्ष्मण म्हात्रे को एक सच्चे स्थानीय नेता यानी भूमिपुत्र के रूप में देखा जा रहा है, जो हमेशा क्षेत्र के साथ जुड़े रहे हैं और यहां के विकास के लिए काम करते रहे है।
स्थानीयता की आवाज :::::
शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के नेताओं ने मंच से स्पष्ट कर दिया है कि वे इस बार स्थानीय नेतृत्व का समर्थन करेंगे। शिवसेना (UBT) के रूपेश म्हात्रे ने अपक्ष उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर इस मुद्दे को और मजबूती दे दी है। उनका कहना है कि भिवंडी के लोगों को एक ऐसा नेता चाहिए, जो हर समय उनके बीच रहकर उनकी समस्याओं का समाधान करे, न कि केवल चुनाव के दौरान नजर आए।
महाविकास आघाड़ी कांग्रेस का बड़ा फैसला :::
महाविकास आघाड़ी के घटक दल कांग्रेस ने भिवंडी पूर्व सीट पर सपा उम्मीदवार रईस शेख का साथ न देने का फैसला किया है। इस कदम से साफ है कि स्थानीयता का मुद्दा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने खुले तौर पर रूपेश म्हात्रे का समर्थन करने की घोषणा की है, जिससे सपा के लिए राह और भी कठिन हो गई है।
सपा के लिए बढ़ी मुश्किलें :::::
बाहरी बनाम भूमिपुत्र की यह लड़ाई सपा के लिए भारी पड़ सकती है। रईस शेख के लिए समर्थन न मिलने और स्थानीयता के मुद्दे के जोर पकड़ने से उनकी सीट खतरे में आ गई है। स्थानीय मतदाताओं में भी यह भावना तेज हो रही है कि क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला नेता वही होना चाहिए, जो उनकी समस्याओं को गहराई से समझता हो और हर समय उनके बीच मौजूद हो।
भिवंडी की चुनावी जंग में नया मोड़:::::
महाविकास आघाड़ी की इस टूट और बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दे ने भिवंडी के चुनावी माहौल को पूरी तरह बदल दिया है। सपा को अब गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, और देखना होगा कि बाहरी फैक्टर के चलते रईस शेख अपनी सीट बचा पाते हैं या नहीं। इस चुनावी जंग ने भिवंडी के राजनीतिक परिदृश्य को बेहद रोचक बना दिया है।
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