भिवंडी चुनाव: बाहरी उम्मीदवारों के चयन से नाराज मतदाता

स्थानीय नेताओं के समर्थन में माहौल गरम

भिवंडी। भिवंडी विधानसभा चुनाव में इस बार एक नया मोड़ आ गया है। दोनों सीटों पर प्रमुख पार्टियों द्वारा बाहरी उम्मीदवारों को मैदान में उतारे जाने से स्थानीय मतदाताओं में गहरा असंतोष पैदा हो गया है। भिवंडी के मतदाता अब बाहरी नेताओं को नकार कर अपने क्षेत्र से जुड़े स्थानीय प्रतिनिधियों को चुनने की बात कर रहे हैं।

भिवंडी पूर्व: सपा के राईस शेख पर मतदाताओं का असंतोष :::::

भिवंडी पूर्व सीट पर सपा ने एक बार फिर रईस कासम शेख को मैदान में उतारा है, जो मुंबई से आकर भिवंडी में राजनीति कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने जातीय ध्रुवीकरण के सहारे चुनाव जीता था, लेकिन इस बार स्थानीय मतदाताओं का रुख उनके प्रति बदला हुआ नजर आ रहा है। मतदाता चाहते हैं कि इस बार एक स्थानीय नेता उन्हें प्रतिनिधित्व दे, जो उनकी समस्याओं को अच्छी तरह समझ सके।

भिवंडी पश्चिम: AIMIM ने उतारा भयखल्ला के वारिस पठान:::

भिवंडी पश्चिम सीट पर AIMIM ने भयखल्ला के पूर्व विधायक वारिस पठान को टिकट देकर मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में AIMIM के खालिद गुडडू ने यहां भाजपा के महेश चौघुले को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन इस बार खालिद के अनुपलब्ध होने पर वारिस पठान को लाया गया है। इससे स्थानीय मुस्लिम मतदाताओं में असंतोष फैल गया है, क्योंकि उनका मानना है कि एक बाहरी नेता उनकी समस्याओं को गहराई से समझने में सक्षम नहीं होगा।

कांग्रेस में भी खींचतान: दयानंद चोरघे की उम्मीदवारी पर सवाल ::::

भिवंडी पश्चिम सीट पर कांग्रेस ने दयानंद चोरघे को उम्मीदवार बनाया है, जो भिवंडी से नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। इस फैसले से भिवंडी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर विलास आर. पाटिल जैसे दिग्गजों को दरकिनार कर दिया गया है। नाराज होकर पाटिल ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। इसी के साथ कांग्रेस की अस्मां जव्वाद चिखलेकर ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जिससे कांग्रेस में आंतरिक खींचतान और बढ़ गई है।

स्थानीय मतदाता करेंगे बाहरी उम्मीदवारों का विरोध ::::

सूत्रों का कहना है कि भिवंडी के मतदाताओं ने इस बार बाहरी उम्मीदवारों को सबक सिखाने का मन बना लिया है। विभिन्न स्थानों पर स्थानीय नेता और नागरिक मतदाताओं को समझा रहे हैं कि बाहरी उम्मीदवारों के बजाय अपने क्षेत्र के नेताओं को समर्थन दिया जाए, ताकि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान हो सके।

क्या होगा नतीजा ? ::::

इस चुनावी घमासान के बीच भिवंडी के मतदाता अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाहरी उम्मीदवारों को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अब देखना यह है कि क्या स्थानीय मतदाताओं का यह विरोध इन बाहरी उम्मीदवारों को भिवंडी से बाहर का रास्ता दिखाएगा, या पार्टियों की रणनीति से चुनाव का परिणाम कुछ और ही होगा।

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