
वारिस पठान: भिवंडी पश्चिम में बाहरी उम्मीदवार
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Nov 12, 2024
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स्थानीय नेताओं के बीच मतों में फूट डालने का प्रयास
भिवंडी। भिवंडी पश्चिम विधानसभा सीट पर AIMIM के उम्मीदवार वारिस पठान को लेकर स्थानीय मतदाताओं और नेताओं के बीच गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बाहरी उम्मीदवार माने जाने वाले पठान पर आरोप है कि वे सिर्फ मतों का बँटवारा करने और स्थानीय समीकरणों में उथल-पुथल मचाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भिवंडी के अधिकांश मतदाताओं को पठान की पहचान तक नहीं है और यह माना जा रहा है कि उनके चुनाव में उतरने से सपा और अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को नुकसान पहुँच सकता है। पठान का प्रचार मुख्यतः मुस्लिम बहुल इलाकों तक सीमित है, जिससे उनके इरादों को लेकर स्थानीय जनता में संदेह बढ़ रहा है। उन्हें क्षेत्र की विविधता और व्यापक मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय सांप्रदायिक आधार पर वोट बांटने का प्रयास करने वाला माना जा रहा है। हाल ही में, AIMIM नेता अकबरूद्दीन ओवैसी की सभा में भी पठान के साथ दूरी बनाए रखी गई, जिससे पार्टी में गुटबाजी और अंदरूनी मतभेदों की चर्चा को बल मिला है।
स्थानीय नेता यह भी मानते हैं कि पठान का भिवंडी के विकास और मुद्दों के प्रति कोई वास्तविक दृष्टिकोण नहीं है। AIMIM पार्टी की आंतरिक खींचतान और बाहरी उम्मीदवार होने के कारण, उन्हें स्थानीय नेताओं का भी समर्थन नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में उनका प्रचार अभियान न सिर्फ कमजोर साबित हो रहा है, बल्कि मतदाताओं का विश्वास भी जीतने में विफल हो रहा है।
भाजपा विधायक महेश चौघुले और निर्दलीय उम्मीदवार विलास पाटिल के बीच हो रहे मुकाबले में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पठान का प्रवेश सिर्फ अस्थिरता लाने और वोट काटने तक सीमित रह सकता है। इसका असर सपा उम्मीदवार रियाज शेख के वोट बैंक पर पड़ सकता है, जो कि स्थानीय स्तर पर मजबूत दावेदार माने जा रहे है। भिवंडी के मतदाता ऐसे बाहरी उम्मीदवार को लेकर असमंजस में हैं, जिन्हें न तो स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ है, न ही भिवंडी के विकास के लिए कोई स्पष्ट योजना। इस प्रकार वारिस पठान की उम्मीदवारी को कई लोग सिर्फ एक "वोट कटवा" रणनीति मान रहे हैं, जिससे भिवंडी की स्थानीय राजनीति में अस्थिरता पैदा हो रही है।
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