भिवंडी में AIMIM को तगड़ा झटका। खालिद गुडडू के समर्थकों ने छोड़ी पार्टी। सपा का समर्थन

भिवंडी। पश्चिम विधानसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है, लेकिन AIMIM के लिए हालात मुश्किल हो गए हैं। पार्टी के भिवंडी शहर अध्यक्ष खालिद गुडडू और उनके समर्थकों ने पार्टी से बगावत करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार रियाज आज़मी का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। इस घटनाक्रम ने AIMIM के उम्मीदवार वारिस पठान की स्थिति कमजोर कर दी है।

खालिद गुडडू के छोटे भाई शेरू और AIMIM के महासचिव एडवोकेट अमोल कांबले ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि खालिद गुडडू को AIMIM ने नजरअंदाज किया, जबकि वे टिकट के असली दावेदार थे। एडवोकेट कांबले ने कहा, "खालिद गुडडू ने 2019 के चुनाव में अपार जनसमर्थन हासिल किया था। लेकिन, उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल में डाल दिया गया। पार्टी ने उनके साथ न्याय नहीं किया। अब हमने भिवंडी के मतदाताओं के हित में सपा उम्मीदवार रियाज आज़मी का समर्थन करने का फैसला किया है।"

AIMIM से निष्कासन की कार्रवाई ::::

AIMIM के भिवंडी कार्याध्यक्ष शादाब उस्मानी ने रात में सोशल मीडिया पर इम्तियाज़ जलील क पोस्ट वायरल की कि खालिद गुडडू, उनके भाई शेरू और एडवोकेट कांबले को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "वारिस पठान को टिकट देने का फैसला खालिद गुडडू और उनके परिवार की सहमति से हुआ था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने आखिरी समय में पार्टी के साथ विश्वासघात किया।"

वारिस पठान की बढ़ी मुश्किलें ::::

इस बगावत के बाद AIMIM उम्मीदवार वारिस पठान की चुनावी चुनौती और गंभीर हो गई है। स्थानीय मतदाताओं में उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताया जा रहा है, जिससे उनके जनाधार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

सपा के पक्ष में माहौल ::::

खालिद गुडडू के भाई शेरू ने कहा, "यह फैसला मुस्लिम समुदाय और भिवंडी के शिक्षित नागरिकों से चर्चा के बाद लिया गया है। अब भिवंडी पश्चिम विधानसभा सीट पर बदलाव दिखेगा और सिर्फ साइकिल (सपा का चुनाव चिन्ह) ही चलेगी।"

राजनीतिक विश्लेषण :::

भिवंडी पश्चिम सीट पर यह घटनाक्रम AIMIM के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। खालिद गुडडू का जनाधार और समर्थकों की संख्या को देखते हुए, उनकी बगावत ने सपा को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है।

चुनाव का परिणाम क्या होगा ? :::::

चुनाव अपने अंतिम चरण में है, लेकिन AIMIM के लिए यह बगावत हार-जीत का अंतर पैदा कर सकती है। भिवंडी की राजनीति में इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। अब देखना यह है कि वारिस पठान अपनी 'पतंग' को कितनी ऊंचाई तक ले जा पाते हैं या यह पेड़ पर ही अटकी रह जाती है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट