भिवंडी में आचार संहिता की धज्जियां !! सोशल मीडिया पर यूट्यूबर्स के जरिए जारी है चुनाव प्रचार

भिवंडी। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार 18 नवंबर की शाम 5:00 बजे से आधिकारिक रूप से थम चुका है। बावजूद इसके, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब पर प्रचार की गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। स्वयंभू पत्रकार और यूट्यूबर्स द्वारा उम्मीदवारों के पक्ष में बनाए गए शॉर्ट वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। इन गतिविधियों से आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन हो रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

प्रचार के नाम पर मोटा लेन-देन ::::

सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ यूट्यूबर्स और स्वयंभू पत्रकार, उम्मीदवारों से मोटी रकम लेकर उनके पक्ष में प्रचार सामग्री बना रहे हैं। यह शॉर्ट वीडियो और पोस्ट व्यापक स्तर पर वायरल हो रहे हैं। जनता का कहना है कि यह साफ तौर पर चुनावी नियमों का उल्लंघन है, जिसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे।

सहायक चुनाव अधिकारियों की भूमिका पर सवाल :::

भिवंडी के दोनों विधानसभा क्षेत्रों में सहायक चुनाव निर्णय अधिकारियों ने पीआरओ (पब्लिक रिलेशन ऑफिसर) की नियुक्ति की है। इन अधिकारियों को स्थानीय यूट्यूबर्स और उनके कामकाज की पूरी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे प्रशासन की निष्पक्षता और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

आचार संहिता पथक बना मूकदर्शक :::

आचार संहिता लागू होने के बाद भी इन सोशल मीडिया प्रचारकों पर नकेल कसने के लिए चुनावी पथक ने कोई कार्रवाई नहीं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रशासन को तुरंत इन पर शिकंजा कसना चाहिए।

जनता में असंतोष ::::

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्रशासन की निष्क्रियता लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगाती है। उनका आरोप है कि सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को सक्रिय नहीं किया गया है, जो इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर नजर रख सके।

प्रशासन के लिए चुनौती::::

भिवंडी में हो रही इन घटनाओं से चुनाव आयोग की साख दांव पर लगी है। समय रहते ठोस कदम न उठाए जाने पर चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है।

रिपोर्टर

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