किसी की जिन्दगी में परिवर्तन सरकार के बस की बात नहीं

जौनपुर। जीवन जीने की सामान्य जरूरतों के कारण पतरका उर्फ कल्लू पुत्र गफूर, ग्राम ककोर गहना, शहजादपुर , जौनपुर, निकट कुत्तूपुर बाईपास,चौकियां धाम के 5 बेटा 3बेटी, 2पोता पोती सभी कबाड़ बीनकर जीवन जीने को मजबूर हैं।। जिस उम्र में नौनिहालों को शिक्षा की आवश्यकता होती है ,उस उम्र में यह घर से 50 किमी दूर पर कबाड़ बीनकर जिन्दगी गुजारने को मजबूर हैं। इनका विकास कैसे सम्भव है ? सरकार की समुद्र जितनी योजनाओं के गर्त ये परिवार पता नहीं कहाँ तक डूबे हैं और इनके उबरने का समय कब आएगा यह भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है। सरकार की ढेरों योजनाओं से इनका कल्याण तो नहीं दिख रहा और कोई ज्योतिषी भी शायद यह नहीं बता सकता कि इनका कल्याण कब होगा और किस योजना से होगा?

लोकतान्त्रिक देश में इस परिवार को आजादी तो जरूर मिली है लेकिन मुसीबतों से आजादी कब मिलेगी , यह एक यक्ष प्रश्न है? जमाना डिजिटल हो रहा है और इनको अक्षर का भी ज्ञान नहीं है। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना बनती है कि इनका कल्याण करने के नाम पर निर्दयी लोग अपना कल्याण करेंगे और इनका भरोसा मानवता से उठ जाएगा। सम्भव है अभावग्रस्त जीवन इनको कुमार्ग पर जाने को भी बाध्य करे या ऐसे लोगों का, कुमार्गगामी लोग अपने हितों के लिए प्रयोग करें। 
सरकारों का दायित्व सिर्फ योजनाएं बनाना ही नहीं है बल्कि उन्हें इस प्रकार से धरातल पर उतारना भी है कि प्रत्येक लाभ आखिरी व्यक्ति तक जरूर पहुंच जाए। तब लोकतन्त्र का असली अर्थ सार्थक होगा।।

रिपोर्टर

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